मध्यप्रदेश में जहां बीजेपी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार, शोषण के मामले में घिरती जा रही है ठीक उसके उल्ट कांग्रेस आदिवासी वोटबैंक को साधने में जुट गयी है ,, कांग्रेस लगातार दलितों और आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर सीधा सत्तारूढ़ सरकार से जबाव मांग रही है। ऐसे में एक बड़ी खबर सामने आ रही ,, खबर है की विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी CEC का गठन किया गया है। आपको बता दे यह कमेटी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट फाइनल करेगी।
उम्मीदवारों के नाम CEC तय करेगी
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से जो उम्मीदवारों के नाम भेजे जायेगे उसको सेंट्रल इलेक्शन कमेटी ही तय करेगी। वहीँ अगर बीजेपी की बात करे तो बीजेपी हमेशा इन मामलों पर असहज होती दिखाई देती है,,, जानकारी के लिए बता दे की ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) ने 16 सदस्यों की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (CEC) बनाई है ,,इस कमेटी में मप्र के एक मात्र नेता ओमकार सिंह मरकाम को जगह मिली है। मरकाम राहुल गाँधी के करीबी माने जाते हैं। मरकाम मप्र के ऐसे दूसरे नेता हैं, जो (CEC) में पहुंचे हैं। इससे पहले मप्र के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय अर्जुन सिंह को ही केवल इस कमेटी में जगह मिली थी। अब अगर CEC की बात करे तो कमेटी के चेयरमैन मल्लिकार्जुन खरगे हैं। इसके अलावा कमेटी में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अंबिका सोनी, अधीर रंजन चौधरी, सलमान खुर्शीद, मधुसूदन मिस्त्री, एन उत्तम कुमार रेड्डी, टीएस सिंह देव, केजे जार्ज, प्रीतम सिंह, मोहम्मद जावेद, अमी याग्निक, पीएल पुनिया, ओमकार सिंह मरकाम और केसी वेणुगोपाल जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं और वहीँ भंवर जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली मध्यप्रदेश के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी का विस्तार किया गया है जिसमे क्षेत्रीय-जातीय समीकरणों को साधते हुए,,,कांग्रेस ने नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए विधानसभा की 230 सीटों पर टिकटों की स्क्रीनिंग के लिए तीन बड़े नेताओं को शामिल किया है। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष रहे सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह हैं।
यह भी पढ़े –बीजेपी के 64 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम मंथन हुआ खत्म, किस सीट पर कौन होगा प्रत्याशी ?
कौन है ओमकार सिंह मरकाम ?
कार सिंह मरकाम तीसरी बार डिंडोरी से विधायक हैं। वे कमलनाथ सरकार में आदिम जाति कल्याण जैसे बड़े औदे के मंत्री भी रह चुके हैं। आपको बता दे डिंडोरी विधायक की आदिवासियों में काफी अच्छी खासी पकड़ है। वहीँ कांग्रेस ने मरकाम के जरिये आदिवासिय वोटबैंक को रिझाने की कोशिश की है और शायद पार्टी की ये कोशिश कारगर साबित होती दिखाई दे रही है क्योकि इस फैसले से बाद से ही स्थानीय कार्यकर्ताओं में कांग्रेस के प्रति भरोसा की भावना देखने को मिल रहीं है।
कांग्रेस की चुनावी रणनीति
इससे साफ़ जाहिर है की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए प्रतेक वर्ग को साधना चाहती है इसलिए हर निर्णय पर गहन विचार विमर्श किया जा रहा है ,, और हर उस गलती से बचा जा रहा है जिसकी वजह से पिछले चुनाव में कांग्रेस के हाथों से सत्ता की कमान फिसल गयी थी।