मध्यप्रदेश में इस समय सियासी सरगर्मियां खूब जोर पकड़े हुए है ,,बीजेपी किसी भी तरह की चूक की गुंजाईश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए नहीं रखना चाहती है ,, इसलिए पहले उम्मीदवारों के नाम पर गहन चिंतन और अब जन आशीर्वाद यात्रा पर फोकस ,,, जी हाँ बीजेपी को पूरी उम्मीद है की वह अपनी इस यात्रा के जरिये प्रदेश की राजनीति का माहौल बदलने में सफल होगी, भारतीय जनता पार्टी अब पूरी उम्मीद के साथ आशीर्वाद लेने जनता के बीच निकल चुकी है ,, इस बार एक नहीं, पांच यात्राएं निकलने जा रही हैं, जो 17 से 21 दिन में प्रदेश की 230 में से 211 विधानसभा सीटों को कवर करेंगी। इनका शुभारंभ 3 सितंबर को चित्रकूट से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कर दिया है। उनके अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह श्योपुर व मंडला से दूसरी यात्रा को हरी झंडी दिखाएगे वहीँ राजनाथ सिंह नीमच और नितिन गडकरी खंडवा से यात्रा की शुरुआत करेंगे।
इस बार बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जन आशीर्वाद यात्रा की थाम अपने हाथों में कमान
मध्यप्रदेश की सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी एक बार फिर जन आशीर्वाद यात्रा के भरोसे है। यात्रा का ये फॉर्मूला पुराना है, लेकिन BJP ने इसमें रणनीति नई लगाई है। इससे पहले 2013 और 2018 के चुनाव में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली जा चुकी है, ये पहले वाली यात्राओं से बिल्कुल अलग यात्रा हैं। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी की ओर से यात्रा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे लेकिन 2023 के चुनाव में आलम कुछ अलग ही है इस बार बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जन आशीर्वाद यात्रा की कमान अपने हाथों में थाम ली है। बीजेपी इस यात्रा के जरिये धार्मिक, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कवायद में है। जी हां आईये जानते है क्या है बीजेपी की क्या है इस यात्रा के पीछे की रणनीति ?
पहली जन अशीर्वाद यात्रा
पहली यात्रा की शुरुआत भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट से 3 सितंबर को शुरु हो चुकी है जिसका मुख्य चेहरा बनाया गया जेपी नड्डा को ,, जानकारी के लिए बता दे यह यात्रा 12 जिलों के 48 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी ,, जेपी नड्डा से यात्रा का शुभारंभ कराकर पार्टी विंध्य के ब्राह्मण वर्ग को साधना चाहती है।
पहले यहाँ अमित शाह आ रहे थे लेकिन कार्यक्रम में बदलाव किया गया,, इसकी वजह सीधी पेशाब कांड है,,,, जिसके कारण,,, विंध्य का ब्राह्मण वर्ग बीजेपी से नाराज चल रहा है । दरअसल, नड्डा हिमाचली ब्राह्मण हैं। विंध्य में ब्राह्मणों का वर्चस्व है। यहां की राजनीति में उनका प्रभाव भी ज्यादा है। अब आपको बताते है की आखिर क्यों ब्राह्मण वर्ग बीजेपी से नाराज चल रहा है ,,, दलअसल सीधी पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर बुलडोजर चलाने के बाद पार्टी ने इस घटना के बाद पीड़ित को आर्थिक सहायता देकर आदिवासियों को संदेश भी देने की कोशिश की गई कि बीजेपी इस समाज के साथ है लेकिन सरकार ने आदिवासियों को तो साध लिया था, लेकिन शुक्ला के घर पर बुलडोजर चलने के कारण ब्राह्मण समाज सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया था। अब सरकार ने इन्हें भी खुश करने के लिए नड्डा को मैदान में उतारा है
दूसरी जन आशीर्वाद यात्रा
दूसरी यात्रा मालवा के नीमच से 4 सितंबर को शुरू हो चुकी है , यह यात्रा 12 जिलों के 44 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। इस यात्रा को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरी झंडी दिखाएंगे और नीमच और मंदसौर के पादीदार, राजपूत-ठाकुरों को बीजेपी के पाले में लाने की ताबड़तोड़ कोशिश करेगें क्योकि नीमच और मंदसौर में इस समुदाय की तादाद ज्यादा है
केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें यह जिम्मेदारी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए दी है।।रिपोर्ट्स की माने तो इस इलाके में करणी सेना प्रभावी है। इसका एक धड़ा बीजेपी से नाराज चल रहा है। हाल ही में मनासा में मुख्यमंत्री शिवराज को काले झंडे दिखाने का प्रयास भी हुआ था। ऐसे में बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है।इसलिए राजनाथ सिंह के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री भी यहाँ जाकर बीजेपी के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की वकालत करेंगे
तीसरी और चौथी जन आशीर्वाद यात्रा
तीसरी और चौथी यात्रा 5 सितंबर को श्योपुर व मंडला से भोपाल के लिए रवाना होंगी। नीमच से भोपाल वाली यात्रा में 12 जिलों के 44 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जायेगा । वहीँ मंडला से भोपाल यात्रा में 10 जिलों के 45 विधानसभा क्षेत्र को कवर किया जायेगा और अमित शाह द्वारा रूठे आदिवासी वोटर्स को मानाने की मशक्त की जायेगी।
इन दोनों यात्रा का शुभारंभ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। अमित शाह रघुनाथ शाह-शंकर शाह की जन्म स्थली से यात्राओं को हरी झंडी दिखाएंगे। दोनों ही जिले आदिवासी बहुल हैं। ऐसे में साफ है कि आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बीजेपी के हाथ से आदिवासी वोट बैंक छिटकता जा रहा है। यही वजह है कि केंद्र और राज्य सरकार ने आदिवासियों पर डोरे डालने के लिए कई योजनाएं भी लागू की हैं। इसके बावजूद आदिवासी बीजेपी की पकड़ में नहीं आ रहा है। यही वजह है कि बीजेपी आदिवासियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चेहरा बनाकर इस बड़े वोट बैंक को बीजेपी के नजदीक लाने की कोशिश कर रही है
शिवराज सिंह की यात्रा में क्या है भूमिका ?
अब सवाल उठता है की जन आशीर्वाद यात्रा में प्रदेश के किसी भी नेता को चेहरा क्यों नहीं बनाया गया है और इन यात्राओं में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका क्या होगी? । इसके दो कारण है,,, पहला है सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी है। इससे निपटने के लिए बीजेपी ने किसी को चेहरा नहीं बनाया है,, और रही शिवराज सिंह की भूमिका की बात तो , बीजेपी चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि शिवराज सिंह चौहान अधिकांश जगहों पर मौजूद रहेंगे। इसलिए हम कह रहे है की बीजेपी इस बार पुरानी पिच पर नये खिलाड़ियों के साथ चुनावी मैदान उतर चुकी है।
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