Monday, June 16, 2025

Kanha Tiger Reserve : कान्हा ने रचा इतिहास, बना भारत का सबसे बेहतरीन टाइगर रिजर्व

Kanha Tiger Reserve : हाल ही में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII), देहरादून द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में मध्यप्रदेश स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व को देश का सबसे उपयुक्त टाइगर हैबिटेट घोषित किया गया है। यह रिपोर्ट बाघों के संरक्षण में एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाती है और यह सिद्ध करती है कि मध्यप्रदेश न केवल बाघों की संख्या में बल्कि उनके लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने में भी अग्रणी है।

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क्या कहती है रिपोर्ट?

WII की रिपोर्ट में देशभर के उन आठ टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है, जहां प्रति वर्ग किलोमीटर 50 से अधिक शाकाहारी वन्यजीव पाए जाते हैं। यह घनत्व इस बात का सूचक है कि इन क्षेत्रों में बाघों के लिए पर्याप्त आहार उपलब्ध है। रिपोर्ट के अनुसार:

कान्हा टाइगर रिजर्व में 1,02,485 शाकाहारी वन्यजीव हैं और घनत्व 69.86% है।

पेंच टाइगर रिजर्व में 81,594 शाकाहारी वन्यजीव हैं, जहां 94.22% का घनत्व दर्ज किया गया है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 74,838 वन्यजीव और 55.15% घनत्व पाया गया।

इन आंकड़ों के आधार पर कान्हा देश में पहले स्थान पर और पेंच दूसरे स्थान पर है। 2023 की गणना के अनुसार, कान्हा में 105 और पेंच में 77 बाघ मौजूद हैं।

शाकाहारी जीवों की समृद्धता क्यों है ज़रूरी?

बाघ पूर्ण रूप से मांसाहारी होते हैं और उनका मुख्य आहार चीतल, सांभर, गौर, जंगली सुअर और बार्किंग डियर जैसे शाकाहारी जीव होते हैं। यदि इन जीवों की संख्या जंगलों में पर्याप्त हो, तो बाघों को भोजन की कोई कमी नहीं होती। इससे न केवल बाघों का अस्तित्व सुरक्षित रहता है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बना रहता है। कान्हा और पेंच जैसे रिजर्व में शाकाहारी जीवों की प्रचुरता, बाघों के लिए एक स्थायी और सुरक्षित निवास सुनिश्चित करती है।

मध्यप्रदेश बाघों का गढ़

मध्यप्रदेश को पहले ही देश में सबसे अधिक बाघों की संख्या के चलते “टाइगर स्टेट” का दर्जा मिल चुका है। अब यह रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि राज्य न केवल संख्या में आगे है बल्कि बाघों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की दृष्टि से भी एक मॉडल राज्य बन चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस रिपोर्ट को राज्य के लिए “बड़ी उपलब्धि” बताया और कहा कि अब राज्य की वन नीति को राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है।

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कान्हा और पेंच की विशेषताएं

कान्हा टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में फैला है और यह भारत का पहला प्रोजेक्ट टाइगर क्षेत्र (1973) भी है। यह साफ-सुथरे और व्यवस्थित वन्यजीव क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है।

वहीं, पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में स्थित है और इसे जंगल बुक की प्रेरणा स्थल भी माना जाता है। यहां की घनी वनस्पति और जैव विविधता बाघों के लिए आदर्श आवास प्रदान करती है।

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