इस फसल की खेती से लाखो रुपये कमाये महीने, किसानो की किस्मत में लग जायेगे चार चाँद जाने इस जड़ी बूटी का नाम

By Sachin

Ashwagandha

इस फसल की खेती से लाखो रुपये कमाये महीने, किसानो की किस्मत में लग जायेगे चार चाँद जाने इस जड़ी बूटी का नाम. अश्वगंधा एक ऐसी औषधीय पौधा है जिसकी दुनिया भर में काफी मांग है। इसके जड़, पत्ते और फल आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग किए जाते हैं। तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं के लिए इसे एक प्राकृतिक उपचार के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि अश्वगंधा की खेती कैसे की जाती है।

अश्वगंधा की खेती कैसे करें

अश्वगंधा रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए। गर्म और शुष्क जलवायु अश्वगंधा के लिए सबसे उपयुक्त होती है। अश्वगंधा के विकास के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श होता है।

गुणवत्तापूर्ण बीज का चयन करें। खेत को अच्छी तरह से जोतकर तैयार करें। बीज को सीधे खेत में या नर्सरी में बोया जा सकता है। नियमित रूप से सिंचाई करें, लेकिन पानी जमा न होने दें। समय-समय पर उर्वरक और जैविक खाद का उपयोग करें। खरपतवारों को नियमित रूप से हटाएं। कीट और रोगों से बचाव के लिए उचित उपाय करें। फसल की कटाई दो साल बाद की जा सकती है।

अत्यधिक बारिश या सूखे से अश्वगंधा की फसल को नुकसान हो सकता है। कीट और रोग फसल को नष्ट कर सकते हैं। अश्वगंधा उत्पादों के लिए सही बाजार ढूंढना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अश्वगंधा की खेती से कितनी होगी आय

अगर इसके उत्पाद की बात करें तो एक छोटा सा उत्पाद पाने के लिए उसमें ₹500 से ₹600 तक की कीमत चुकानी पड़ती है, तभी अश्वगंधा की एक छोटी सी चीज प्राप्त हो पाती है, अगर आप अश्वगंधा जड़ी बूटी खरीदने जाते हैं तो यह हजार रुपये से लेकर ₹1500 किलो तक मिल जाती है, जो कि कोई छोटी राशि नहीं है, इसलिए जैसा कि आपको बताते हैं कि अगर आप एक बार में 78 हजार रुपये का निवेश करते हैं और उसके बाद इसकी खेती करते हैं तो आप काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं, इसलिए इस फसल की खेती शुरू करें और महीने का ₹1 लाख रुपये कमाएं।

अश्वगंधा की खेती के लाभ

  • उच्च लाभ: बाजार में अश्वगंधा की बहुत अधिक मांग है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
  • औषधीय गुण: अश्वगंधा में कई औषधीय गुण होते हैं, जिसके कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
  • कम लागत: अश्वगंधा की खेती अन्य फसलों की तुलना में कम खर्चीली होती है।

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