Harda/संवादाता मदन गौर : हेमंत टाले ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से भाजपा सरकार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी कर रही है, उससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस अधिनियम को पूरी तरह खत्म करना चाहती हैं। राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत ताले ने कहा कि यह दिशा-निर्देश मजदूरों और किसानों के साथ धोखा है।
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100% मजदूरी वाले कार्यों पर रोक
हेमंत टाले का कहना है कि पहले जिन कार्यों में मजदूरों को 100% मजदूरी दी जाती थी, उन कार्यों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। वहीं, 60-40 के अनुपात पर होने वाले निर्माण कार्यों में भी अब केवल मजदूरी देने का निर्देश दिया गया है, जबकि निर्माण सामग्री की खरीद पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। ताले ने सवाल उठाया कि बिना सामग्री खरीदे ये कार्य कैसे पूरे होंगे?
किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ी
रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत पहले नहरों की सफाई और रखरखाव का कार्य भी किया जाता था, ताकि किसानों को सिंचाई में सहूलियत मिले। लेकिन अब इस आदेश के चलते यह कार्य पूरी तरह से बंद हो चुका है। गांव की सड़कों के कनेक्शन और खेतों तक जाने की सुविधा के लिए ग्रामीण सड़कों की मिट्टी और गिट्टी का काम भी इस फंड से किया जाता था, जो अब बंद हो गया है। सभी उपरोक्त कार्यों में 100% मजदूरी दी जाती थी, लेकिन अब इन्हें भी रोक दिया गया है।
निर्माण कार्यों में सामग्री की खरीद पर रोक
राज्य सरकार ने 60-40 अनुपात पर होने वाले 25 कार्यों की सूची जारी की है, लेकिन इनमें अब किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केवल मजदूरी का भुगतान ही रोजगार गारंटी फंड से करने का निर्देश है। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सामग्री की खरीद कहां से होगी, जिससे इन कार्यों का पूरा होना संदिग्ध है।
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कांग्रेस द्वारा शुरू की गई थी योजना
हेमंत टाले ने याद दिलाया कि यह अधिनियम कांग्रेस सरकार ने मजदूरों के हित में लाया था, ताकि मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार मिल सके और मजदूरों का पलायन रोका जा सके। कांग्रेस के इस प्रयास से गांवों में पलायन काफी हद तक रुक गया था। लेकिन जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है, वह इस मजदूर-हितैषी कानून को खत्म करने की कोशिश कर रही है, ताकि सस्ते श्रमिकों को कॉरपोरेट जगत के लिए उपलब्ध कराया जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी
टाले ने आरोप लगाया कि आज अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को 100 दिनों के मुकाबले बहुत कम कार्य मिलता है। यदि कार्य मिलता भी है तो मजदूरी कई महीनों बाद दी जाती है, जिससे मजदूर हतोत्साहित होकर काम मांगना ही बंद कर देते हैं।
कोरोना काल में रोजगार गारंटी अधिनियम की अहमियत
हेमंत टाले ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इसी अधिनियम के चलते देश के करोड़ों मजदूरों के परिवारों का जीवनयापन संभव हो पाया था। यदि यह कानून न होता, तो देश के करोड़ों परिवार भूख से मरने की कगार पर होते।
आंदोलन की तैयारी
हेमंत टाले ने कहा कि आने वाले दिनों में संगठन इस मुद्दे को सभी जिला मुख्यालयों पर उठाएगा और मजदूरों के हक के लिए आवाज बुलंद करेगा।