आजकल किसानों को पारंपरिक फसलों की जगह पेड़ों की खेती में ज्यादा रुझान दिखाना चाहिए। पेड़ की खेती में कम लागत होने के कारण किसानों को मजबूत मुनाफा मिलता है। किसान कुसुम के पेड़ लगाकर भी खूब कमाई कर सकते हैं, क्योंकि कुसुम के पेड़ पर लाख कीट चढ़ाकर लाख की खेती की जा सकती है। आइए इस खबर में इस खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं…
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जैसे रेशम के लिए रेशम के कीड़े की जरूरत होती है, उसी तरह लाख के उत्पादन के लिए लाख के कीड़ों की जरूरत होती है। लाख के कीड़ों को कुसुम के पेड़ पर चढ़ाकर उनका उत्पादन किया जा सकता है। किसान साल में दो बार यानी हर छह महीने में ऐसा कर सकते हैं। कुसुम के पेड़ पर लाख के कीड़े सबसे ज्यादा उत्पादन देते हैं। अगर पेड़ की शाखाएं साफ और मुलायम हों तो लाख का और भी ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है। भारत में लाख की खेती मध्य प्रदेश में ज्यादा की जाती है। यहां जंगलों में लाख के पेड़ भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं। अन्य जगहों पर कुसुम के पेड़ को उगाना आसान है और लाख की खेती भी आसानी से की जा सकती है।
कुसुम के पेड़ भी फायदेमंद हैं क्योंकि –
मध्य प्रदेश के कई जिलों के किसान लाख की खेती की ओर रुझान रखते हैं। इसकी वजह यह भी है कि किसानों को जबलपुर के जवाहर कृषि विश्वविद्यालय में लाख की खेती (लाख की खेती कैसे करें) के बारे में जानकारी मिल जाती है। लाख के कीड़ों के लिए ज्यादा अनुकूल होने की वजह से कुसुम के पेड़ से लाख का सबसे ज्यादा उत्पादन मिलता है। कुसुम के पेड़ से ली गई लाख ज्यादा गुणवत्ता वाली मानी जाती है, इसलिए इसे बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है।
इस समय करें लाख की खेती –
साल में दो बार लाख का उत्पादन लिया जा सकता है। जुलाई का महीना कुसुम के पेड़ पर लाख की खेती करने के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त होता है। मध्य प्रदेश के जंगलों में कुसुम के पेड़ (कुसुम के पेड़ कहां होते हैं) की भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। किसान इन पेड़ों पर लाख की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। इस पेड़ पर कुस्मी लाख के कीड़ों को चढ़ाकर लाख की खेती की जाती है। इसके बाद दिसंबर महीने में लाख का उत्पादन लिया जाता है। जनवरी के महीने में भी कुसुम के पेड़ पर लाख के कीड़ों को चढ़ाया जाता है। इसका उत्पादन जून के महीने में मिलता है।
कुसुम का पेड़ देता है सबसे ज्यादा लाख –
लाख के उत्पादन के लिए कुसुम का पेड़ (कुसुम का पेड़ क्या काम आता है) सबसे ज्यादा उपयोगी होता है। इस पेड़ से लगभग 75 से 100 किलो तक लाख का उत्पादन लिया जा सकता है। इसकी एक वजह यह है कि कुसुम के पेड़ की शाखाएं मुलायम होती हैं और लाख का कीड़ा आसानी से रस चूस सकता है। कीड़ा जितना ज्यादा रस चूसेगा, उतना ही ज्यादा लाख का उत्पादन होगा। बाजार में कुसुम के पेड़ से मिलने वाली लाख (लाख की फसल) की कीमत 250 से 275 रुपये प्रति किलो है। ऐसे में अगर एक कुसुम के पेड़ से 70 से 80 किलो लाख का उत्पादन हो जाता है तो किसान एक पेड़ से 20,000 रुपये (लाख का रेट) तक की कमाई कर सकता है। इस तरह अगर 20 पेड़ों पर लाख का उत्पादन किया जाए तो 6 महीने में 5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में की जाती है लाख की खेती –
छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में लाख की खेती आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वहीं अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसकी खेती के लिए किसानों को उचित प्रशिक्षण और सस्ते दरों पर लोन देने का फैसला किया है। आपको बता दें कि यहां लाख की खरीद दर 550 रुपये प्रति किलो है, जबकि रंगिनी बहन लाख यानी पलाश के पेड़ से निकाली गई लाख की खरीद दर 275 रुपये प्रति किलो है।
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इन पेड़ों पर भी की जाती है लाख की खेती –
ऐसा नहीं है कि लाख के कीट की खेती (लाख के कीट की खेती) सिर्फ कुसुम के पेड़ पर ही की जाए, यह बेर और पलाश के पेड़ पर भी अच्छी तरह से बढ़ता है। मध्य प्रदेश के जंगलों में बेर और पलाश के पेड़ भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं। पलाश के पेड़ को खखरा भी कहा जाता है। इन पेड़ों पर भी लाख की खेती की जा सकती है। हालांकि पलाश के पेड़ से कुसुम के पेड़ की तुलना में लाख का उत्पादन कम होता है। आमतौर पर पलाश के पेड़ से 5 से 10 किलो लाख का उत्पादन होता है। जुलाई के महीने में बेर के पेड़ पर लाख के कीड़े चढ़ाए जाते हैं। दिसंबर और जनवरी में इन पेड़ों (कृषि टिप्स) से लाख का उत्पादन लिया जा सकता है। एक बेर के पेड़ से 15 से 20 किलो लाख मिलता है। लाख की खेती की लागत भी कम होती है। इसलिए यह किसानों के लिए फायदेमंद है। झारखंड के ज्यादातर किसान बेर के पेड़ पर लाख की खेती करते हैं।