मध्यप्रदेश में चुनावी तैयारी जोरों पर है ऐसे में जमीन पर कई ऐसे समीकरण भी बदल गए हैं, जिस वजह से कभी कोई पार्टी तो कोई दूसरी पार्टी आगे दिखाई दे जाती है। कांग्रेस ने 229 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं, सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान होना बाकी है इसी के मद्देनजर पार्टी ने दूसरी सूची में तीन टिकट बदल दिए हैं। पहली सीट है दतिया जहां से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को बीजेपी ने मैदान मैं उतारा है, वहीँ कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में अवधेश नायक को टिकट दिया था। वे कुछ दिनों पहले ही भाजपा से कांग्रेस में आए थे, लेकिन टिकट घोषित होते ही उनका विरोध शुरू हो गया था।
पार्टी ने हालात को भांपते हुए टिकट बदलना ही ठीक समझा
विरोध की आंच भोपाल तक पहुंच गई थी और देखते ही देखते पार्टी ने हालात को भांपते हुए टिकट बदलना ही ठीक समझा। अब उनकी जगह राजेंद्र भारती को टिकट दिया है। वही दूसरी बदली गई सीटों में सबसे प्रमुख रही है गोटेगांव विधानसभा जहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को फिर से मौका दिया गया जबकि पहली लिस्ट में इस सीट से शेखर चौधरी को टिकट दिया गया था। टिकट कटने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि दलित समाज से आने वाले वरिष्ठ नेता एनपी प्रजापति कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। ऐसे में डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस ने अपना फैसला बदला।
कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ केपी सिंह के करीबी शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया
तीसरी सीट है पिछोर विधानसभा जहां से कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ केपी सिंह के करीबी शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया लेकिन बाद में जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवार का नाम बदल दिया गया नए उम्मीदवार अरविंद सिंह लोधी है जो भी केपी सिंह के करीबी हैं. दरअसल कांग्रेस का अनुमान है कि शिवपुरी से बीजेपी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लड़ा सकती है। इसलिए कांग्रेस ने सिंधिया के सामने मजबूत नेता पहले ही उतार दिया है। दिलचस्प बात यह है कि यदि शिवपुरी से सिंधिया नहीं उतरे तो फिर केपी सिंह अपनी पारंपरिक सीट पिछोर जा सकते हैं और ऐसे में शिवपुरी से वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट मिल सकता है।
कोलारस और शिवपुरी तीनों सीटें शिवपुरी जिले में आती है
बता दे पिछोर, कोलारस और शिवपुरी तीनों सीटें शिवपुरी जिले में आती है। कांग्रेस ने अभी तक दो लिस्ट जार कर दी है जिसमे मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से 229 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। लेकिन बैतूल जिले की आमला सीट विचाराधीन है क्योंकि वहां से पार्टी प्रशासनिक अधिकारी निशा बांगरे को उतराना चाहती है लेकिन अब तक बांगरे का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। देखना अब ये होगा की बची एक सीट पर कांग्रेस अपनी ओर किस महारथी को मैदान में उतारती है।