Tuesday, November 28, 2023
Homeबिज़नेसBamboo Farming: बांस की खेती ने बदली किसानों की किस्मत, जानें आप...

Bamboo Farming: बांस की खेती ने बदली किसानों की किस्मत, जानें आप कैसे कर सकते हैं खेती

Bamboo Farming: बांस की खेती ने बदली किसानों की किस्मत, जानें आप कैसे कर सकते हैं खेती, किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य को पूरा करने में बांस आधारित आजीविका और रोजगार सृजन की महत्वपूर्ण भूमिका है। खेती की दुनिया में हरे बांस को ‘हरा सोना’ कहा जाता है, क्योंकि इसकी खेती से सोने के बराबर ही मुनाफा होता है। मेहनत बहुत कम है और कमाई बहुत ज्यादा है. बांस की खेती ने लखुर्री के किसान रामप्रकाश केशरवानी की किस्मत बदल दी है। 9 साल पहले एक एकड़ निजी जमीन के मेड़ से शुरू की गई खेती का रकबा अब 15 एकड़ तक पहुंच गया है।

यह भी पढ़ें :-अगर आपके पास पड़ा है 20 रुपये का यह पुराना नोट तो मिलेंगे रातो-रात लाखों रुपए, जानें- क्या है कमाई का तरीका

बदल दिया सागौन की खेती का विचार

बांस की खेती करने वाले किसान (Bamboo Farming) अब धनवान बन रहे हैं. कम लागत लगाकर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, किसान रामप्रकाश केशरवानी ने बताया कि वर्ष 2009 में उनके मन में विचार आया है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ खेती का कार्य करें। उन्होंने सागौन की खेती का मन बनाया। इसकी जानकारी के लिए वह रायपुर पहुंचे और वहां कालेज के प्रोफेसर से परामर्श लिया। उन्हें बताया गया है कि सागौन की खेती में लाभ के लिए 20 वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा। रामप्रकाश केशरवानी ने वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने भी यही कहा कि सागौन की खेती में आने वाली कठनाई की जानकारी मिली। जिससे उनका सागौन की खेती का मन बदल गया और फिर बांस की खेती का मन बनाया।

Bamboo Farming: बांस की खेती ने बदली किसानों की किस्मत, जानें आप कैसे कर सकते हैं खेती

कई किसानों ने शुरू की खेती

किसान अब पारंपरिक खेती के मुकाबले बागवानी और कृषि वानिकी पर फोकस कर रहे हैं, इसके लिए देहरादून रिसर्च सेंटर गए और वहां से बांस की प्रजाति और तकनीकी जानकारी लेकर आए वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने बांस को घास प्रजाति में शामिल किया। इसमें अनुदान भी दिया जाता है इसका उन्हें लाभ मिला। उन्होंने बताया कि बांस की खेती रेतीली जमीन में होती है और यह नमी को भी अवशोषित करता है। बांस की एक खासियत यह भी है कि इसकी पत्तियां धूल के प्रदूषण को भी कम करता है। एक एकड़ में बांस 20 टन अक्सीजन उत्सर्जित होता है। रामप्रकाश ने बताया कि वे अन्य किसानों को भी बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बांस के पौधे की नर्सरी भी तैयार की है। जिससे किसानों को पौधे उपलब्ध करा सकें। किसानों का रूझान बांस की खेती की ओर बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें :-पुराना 5 रुपए का सिक्का चमका देगा आपकी रातो-रात किस्मत, घर बैठे मिलेंगे पूरे 5 लाख, जानिए कैसे

बांस ने बनाया मालामाल

बांस की खेती ने बदली किसानों की किस्मत, जानें आप कैसे कर सकते हैं खेती, रामप्रकाश केशरवानी 15 एकड़ खेत की मेढ़ में बांस की खेती कर रहा है। पहले चार साल मेहनत के बाद अब बांस लाभ का व्यवसाय बन गया है। हर साल हजारों की आमदनी हो रही है। पहले उन्होंने भीमा प्रजाति के बांस की खेती की थी अब टुल्डा प्रजाति के बांस की खेती कर रहे हैं। इससे फर्नीचर, अगरबती, आइसक्रीस और अन्य उपयोग के लिए डंडी बनाई जाती है। बांस में टहनियां नहीं होती और जल्दी लंबा होता है। जिससे बांस के इस प्रजाति की बाजार में मांग है।

हमारे Whats App न्यूज ग्रुप से जुड़ें, आप हमें Facebook, Twitter, और Instagram पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular