Wednesday, November 29, 2023
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BJP और कांग्रेस जाट वोटर्स को लुभाने के लिए क्यों लगा रहीं एड़ी चोटी का जोर, जाने क्या है पूरा मामला!

इस वर्ष मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत देश के करीब 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष आम चुनाव 2024 होने है। जिसके चलते राजनैतिक दल जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे है। इसी कड़ी में आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां जाट वोटर्स को लुभाने में लगी हुई हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि राजस्थान की सियासत में जाट मतदाताओं को लेकर इतनी तगड़ी जंग क्यों छिड़ी हुई है। राजस्थान में राज्य के 47.6 मिलियन मतदाताओं का 10 प्रतिशत भाग जाट वोटर्स हैं, ऐसे में आगामी चुनाव में कौन सी पार्टी राजस्थान की सत्ता में काबिज होगी। यह निर्धारित करने में इनकी भी अहम भूमिका होती है। इसलिए विधानसभा चुनाव से पहले BJP और कांग्रेस समेत सभी राजनैतिक पार्टियां शेखावाटी और मारवाड़ में प्रभावशाली इन वोटर्स को साधने में जुटी हुई हैं।

हालिया रणनीति पर चर्चा

राजस्थान में BJP की हालिया रणनीति पर चर्चा करें तो बीते दिनों बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष पहले सतीश पूनिया को हटाकर सीपी जोशी को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, ऐसा करके बीजेपी ने प्रदेश की सियासत में चुनाव से ठीक पहले सोशल इंजीनियरिंग का दांव खेल दिया है। इसी साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों में BJP और कांग्रेस के बीच प्रदेश की कुल 200 विधानसभा सीटें पर सियासी जंग देखने को मिलेगी। आपको बता दें इन 200 विधानसभा सीटें में से लगभग 30 से 40 सीटों पर जाट समुदाय का उम्मीदवार ही चुनाव जीतता है। यह उम्मीदवार किसी भी राजनैतिक दल का हो सकता है। राजस्थान के शेखावाटी में जाट समुदाय का बोलबाला है। राजस्थान के हर विधानसभा चुनाव में शेखावाटी ही सियासी दलों के भाग्य का फैसला करती है।

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राजस्थान में पिछले लम्बे समय से जाट समुदाय के आरक्षण को लेकर विवाद

राजस्थान चुनाव में जाट के अलावा राजपूत वोटर्स भी सीधी पकड़ रखते हैं, ऐसे में दिल्ली में जो पहलवानों के साथ जो हुआ, उससे जाट और राजपूत दोनों ही वोटर्स में कहीं न कहीं बीजेपी को लेकर आक्रोश है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में पिछले लम्बे समय से जाट समुदाय के आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसे में यदि जाट और राजपूत की सियासी लड़ाई ठनी तो इसका सीधा असर राजस्थान चुनाव में देखने को मिलेगा। क्योंकि राजस्थान में जाट और राजपूत दोनों शक्तिशाली हैं। इसीलिए राजस्थान की सत्ता में आने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस की सत्ता पलटने के लिए राजस्थान में जाट और राजपूत दोनों ही मतदाताओं को साधने में जुटी हुई है।

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