विदेश मंत्री एस जयशंकर आए दिन चीन को अपने निशाने पर लेते रहते है। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर चीन को उसकी हरकतों की वजह से अपना निशाना बनाया है। विदेश मंत्री जयशंकर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना के लॉन्च कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उन्होंने एक चैनल से बातचीत के दौरान एक बार फिर चीन को उसकी हद बताते हुए, चीन पर करारा तंज कसा है, उन्होंने कहा है की, पश्चिमी मुल्क ‘बुरे’ नहीं हैं, क्योंकि वो एशियाई या अफ्रीकी मुल्कों के बाजारों में अपना सामान बेतहाशा तरीके से नहीं पहुंचा रहे हैं। वो आगे कहते है की, हमें पश्चिमी मुल्कों को लेकर बने इस नकारात्मक रवैये वाले सिंड्रोम से उबरने की जरूरत है।
अफ्रीका और एशिया के बाजारों में चीन के बढ़ते प्रभाव
उन्होंने अफ्रीका और एशिया के बाजारों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर बात की ,साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह से चीन बड़ी मात्रा में अपना सामान इन बाजारों में पहुंचा रहा है, जिसके कारण से अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ रहा है। जयशंकर ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा की, एशिया और अफ्रीका बाजारों में बड़े पैमानों पर सामान भरने वाले पश्चिमी मुल्क नहीं हैं, वो कहते ही की हमे अतीत के इस सिंड्रोम से बाहर आने की जरूरत है कि पश्चिमी मुल्क बुरे हैं और विकासशील देश हैं। दुनिया जितनी ज्यादा पेंचीदा है, उससे ज्यादा समस्याएं पेंचीदा हैं। उन्होंने इस दौरान बिना चीन का नाम लिए है उस पर हल्ला बोला है, वो कहते है की एक मजबूत भरोसे की जरूरत है।
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वैश्वीकरण की वजह से असमानता
बीते 15-20 सालों में वैश्वीकरण की वजह से असमानता देखने को मिली है, जिसकी वजह है की कई देशों ने देखा है की, उनके यहां के प्रोडक्ट्स, मैन्युफेक्चरिंग और रोजगार पर गहरा दबाव पड़ा है। जिसका कारण ये है की, सस्ते सामानों को उनके बाजारों तक पहुंचाया गया है। आपको बता दें, विदेश मंत्री का यह बयान, कहीं न कहीं चीन के व्यापार और आर्थिक नीतियों की तरफ एक इशारा था। इतना ही नहीं, उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के जी20 शिखर सम्मेलन का हिस्सा न होने की बात पर, कुछ भी बोलने से बचते नज़र आए।