छोटे से बाड़े में करे इस अनोखी नस्ल की गाय का पालन 12-15 लीटर देती है दूध, अच्छे दूध उत्पादन के लिए जानी जाने वाली यह देसी नस्ल गुजरात राज्य में बनास कंथा, खेड़ा, महेसाणा, साबर कांथा और कच्छ क्षेत्र में जबकि, राजस्थान में बाड़मेर और जोधपुर क्षेत्र में कांकरेज गाय पाली जाती है, यह गाय बहुत ही लाभदायक नस्ल मानी जाती है इसके बछड़े भी बड़े होकर बैल के रूप में किसान के सहायक होते है कांकरेज गाय वगाडि़या, वागड़, बोनई, नागर और तालाबड़ा आदि नाम से जानी जाती है. इसका नाम गुजरात के बनासकांठा जिले के भौगोलिक क्षेत्र यानी कांक तालुका के नाम पर रखा गया है।
कांकरेज नस्ल की विशेषताए

कांकरेज के विशेषताओं की बात करे तो मवेशी सिल्वर-ग्रे, आयरन ग्रे या स्टील ग्रे रंग के होते हैं. सींग मजबूत होते हैं और वीणा के आकार में बाहर और ऊपर की ओर मुड़े होते हैं. एनडीडीबी के अनुसार, कांकरेज नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1738 लीटर तक दूध देती हैं. कुछ ऐसे ही खासियत है इस गाय की आगे हम जानते है इसकी दूध उत्पादन क्षमता और आदि गुण।
कांकरेज नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1738 लीटर तक दूध देती हैं, जिसका मतलब है कि यह उच्च दूध उत्पादन की नस्ल है।
- रंग और आकार: कांकरेज गाय के मवेशी सिल्वर-ग्रे, आयरन ग्रे या स्टील ग्रे रंग के होते हैं। इनकी सींग मजबूत होती है और वीणा की आकृति में बाहर और ऊपर की ओर मुड़ी होती है।
- बड़े और वजनी नस्ल: कांकरेज गाय मवेशियों की सबसे भारी नस्लों में से एक है। इनका वजन औसतन 320 से 370 किलोग्राम तक होता है।
- दूध में मात्रा: कांकरेज गाय के दूध में फैट यानी वसा की मात्रा न्यूनतम 2.9 प्रतिशत और अधिकतम 4.2 प्रतिशत होती है।
- ऊंचाई और शरीर की लंबाई: प्रौड़ गायों की ऊंचाई औसतन 125 सेमी और शरीर की लंबाई औसतन 123 सेमी होती है।
- दूध की क्षमता: ये गायें दिन में औसतन 6 से 10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं।
- विभिन्न नामों से पुकारा जाना: कांकरेज गाय को विभिन्न नामों से भी पुकारा जाता है, जैसे वगाडि़या, वागड़, बोनई, नागर, और तालाबड़ा आदि।
कांकरेज नस्ल पर आने वाली बीमारिया
आपको बता दे इस नस्ल को कोण कोण सी बीमारी घेर सकती है
- बीमारियाँ: सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त, पीलिया, आदि।
- रोग: तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि।