गेंहू की खेती की यह नई विधि बदल देंगी आपकी तक़दीर, जानिए किस तरह की जाती है श्री विधि से गेंहू की खेती। रबी की बुवाई का समय आ गया है और गेहूं (Paddy cultivation) रबी सीजन की सबसे बड़ी फसल है. देश में धान के अलावा गेहूं की खेती से सबसे ज्यादा किसान जुड़े हैं धान कटने के बाद से हीर इसकी खेती की तैयारी शुरू हो जाती है. गेहूं की खेती करने वाले किसान अगर श्री विधि (System of rice intensification-SRI) से गेहूं की खेती करें तो उत्पादन गुना ज्यादा हो सकता है. इस विधि की एक खास बात और है, वह यह कि इस विधि की खेती से लागत में कमी आती है जो किसानों का मुनाफा बढ़ाने में मददगार सबित होती है. तो आइए जानते हैं कि आखिर ये श्री विधि है क्या और इससे लगाने का सही तरीका क्या होता है.
गेंहू की खेती की यह नई विधि बदल देंगी आपकी तक़दीर, जानिए किस तरह की जाती है श्री विधि से गेंहू की खेती
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जानिए क्या है श्री विधि

यह गेहूं की खेती करने का एक तरीका है जिसमें धान की श्री विधि के सिद्धांतों का पालन करने अधिक उपज प्राप्त किया जाता है. फसल की देखभाल सामान्य गेहूं की फसल की तरह ही की जाती है. इस तरह गेहूं की फसल की अच्छी देखभाल करके किसानों ने औसतन 14-19 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज पाई है जो पहले की उपज से लगभग दोगुनी है.
गेंहू की खेती की यह नई विधि बदल देंगी आपकी तक़दीर, जानिए किस तरह की जाती है श्री विधि से गेंहू की खेती
इस तरह किया जाता है श्री विधि के लिए खेत तैयार
सामान्य गेहूं की तरह ही इसके खेत भी तैयार किए जाते हैं. खरपतवार और फसल अवशेष निकालने के बाद खेत की तीन-चार जुताई कर मिट्टी को महीन करना होता है और खेत समतल भी होना चाहिए. खेत में पर्याप्त नमी न होने पर बुवाई के पहले एक बार पलेवा करना चाहिए. खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लेना चाहिए. अब सवाल आता है कि इस विधि से गेहूं लगाना है तो उसका सही समय क्या ? ऐसे में ज्यादा उत्पादन के लिए गेहूं की बुवाई नवंबर से दिसंबर महीने में जरूर कर लेनी चाहिए.
कितना बीज और बीज शोधन
श्री विधि से गेहूं लगाने के लिए बीजों का चयन भी जरूरी होता है. बुवाई के लिए प्रति एकड़ लगभग 10 किलोग्राम बीज चाहिए होंगा. लगभग 20 लीटर पानी को मिट्टी के बर्तन में डालें और उसे गरम करें इसके बाद बीजों को इसमें डाल दें. अब इस पानी में पानी में 3 किलो केचुआ खाद, 2 किलो गुड़ एवं 4 लीटर देशी गौमूत्र मिलाकर बीज के साथ अच्छी प्रकार से मिला लें औा इसे लगभग घंटे के लिए छोड़ दें. अब बीज और ठोस पदार्थ कबाविस्टीन 2-3 ग्राम प्रति किग्रा. या ट्राइकोडर्मा 7.5 ग्राम प्रति किग्रा. के साथ पीएसबी कल्चर 6 ग्राम और एजेटोबैक्टर कल्चर 6 ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित कर नम जूट बैग के ऊपर कहीं छाये में फैला दें. लगभग 10-12 घंटों में बीज बुवाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
गेंहू की खेती की यह नई विधि बदल देंगी आपकी तक़दीर, जानिए किस तरह की जाती है श्री विधि से गेंहू की खेती

जानिए कैसे होती है श्री विधि से बुवाई
अब आपको बताते हैं कि श्री विधि से गेहूं की बुवाई होती कैसे है. तो सबसे पहले यह ध्यान दिया जाना जरूरी है कि बुवाई के समय जमीन में नमी होनी चाहिए क्योंकि इस विधि से बुवाई के लिए अंकुरित बीज का प्रयोग होता है. खेत में पलेवा देकर ही बुवाई करना चाहिए. देसी हल या कुदाल से 20 सेमी. की दूरी पर 3 से 4 सेमी. गहरी नाली बनाते हैं और इसमें 20 सेमी. की दूरी पर एक स्थान पर 2 बीज डालते है. बुवाई के बाद बीज को हल्की मिट्टी से ढक देते हैं. बुवाई के 2-3 दिन में पौधे निकल आते हैं. खाली स्थान पर नया शोधित बीज लगाना अनिवार्य है. कतार तथा बीज के मध्य वर्गाकार (20 x 20 सेमी.) की दूरी रखने से प्रत्येक पौधे के लिए पर्याप्त जगह मिलती है, जिससे उनमें आपस में पोषण, नमी व प्रकाश के लिए प्रतियोगिता नहीं होती है.