Tuesday, November 28, 2023
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ग्वालियर-चंबल में सिंधिया से बीजेपी या कांग्रेस किसको मिलेगा फायदा?

इस बार ग्वालियर-चंबल अंचल की जनता क्या करने जा रही है। किसको जीता रही है किसको हरा रही है इस पर पूरे प्रदेश की नज़र लगी हुई है। तमाम ओपिनियन पोल भी सामने आए हैं इसके बारे में आगे आपको इस रिपोर्ट में तफ्सील से बताएंगे लेकिन उससे पहले एक नज़र ग्वालियर चंबल पर डाल लेते हैं ग्वालियर चंबल मध्य प्रदेश के बड़े अंचलों में से एक माना जाता है कभी बागी बीहड़ों के लिए मशहूर रहे प्रदेश के इस अंचल में खड़ी बोली का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके साथ ही बुंदेलखंड और राजस्थान से सटे होने की वजह से यहां राजस्थानी और बुंदेली भाषा भी इस्तेमाल की जाती है। इस अंचल में दो बड़े शहर आते हैं जिनमें ग्वालियर और मुरैना शामिल हैं। वहीं इस अंचल में 2 संभाग और आठ ज़िले आते हैं, जिनमें ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, गुना, अशोकनगर, दतिया और श्योपुर शामिल हैं।

चंबल नदी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है, जो राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक बहती है, ग्वालियर-चंबल की सीमा एक तरफ राजस्थान से लगती है, तो दूसरी तरफ ये उत्तर प्रदेश से भी सटी हुई है यही वजह है कि इस क्षेत्र में इन राज्यों की राजनीति का भी सीधा असर पड़ता है। यूपी के मुख्यधारा के दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का भी इस क्षेत्र में प्रभाव है। राजनीति के नज़रिए से ये अंचल प्रदेश का अहम अंचल माना जाता है, क्योंकि ये क्षेत्र राजे-रजवाड़ों की भूमि रही है। जिसका दखल आज भी प्रदेश की सियासत में देखने को मिलता है। इस अंचल में विधानसभा की कुल 34 सीटें आती हैं 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां इन 34 में से 26 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं थीं। वहीं, बीजेपी को महज 7 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

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जबकि, भिंड सीट पर बीएसपी के संजीव कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी। 2020 में मध्य प्रदेश कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में बगावत हुई। कांग्रेस के करीब दो दर्जन विधायक पाला बदलकर बीजेपी में आ गए। कांग्रेस सरकार गिर गई इस पूरी बगावत के केंद्र में ग्वालियर-चंबल संभाग के विधायक ही थे। बगावत के बाद 28 सीटों पर उप-चुनाव हुआ। इन 28 में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की थीं। इन सीटों में जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, डबरा, भांडेर, करैरा, पोहरी, बमोरा, अशोकनगर और मुंगावली विधानसभा सीट शामिल थी। इन 16 में से सात सीटों पर बगावत के बाद भी कांग्रेस ने वापसी की थी।जबकि, नौ सीटें बीजेपी ने जीती थीं।

जिन सीटों को बगावत के बाद भी कांग्रेस बचाने में कामयाब रही उनमें सुमावली, मुरैना, दिमनी, गोहद, डबरा और करैरा विधानसभा सीट शामिल थी। अब इस बार जो ओपिनियन पोल अब तक सामने आए हैं उसके मुताबिक इस बार माहौल कांग्रेस के पक्ष में नज़र आ रहा है। सबसे पहले बात एबीपी न्‍यूज-सी वोटर के फाइनल ओपिनियन पोल की इस सर्वे ने बीजेपी को निराश किया। वहीं, कांग्रेस को खुशी दी है। इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद भी ज्‍योतिराद‍ित्‍य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस को बिल्कुल भी नुकसान नहीं हुआ है। सर्वे के मुताबिक इस बार ग्वालियर चंबल क्षेत्र की 34 में से बीजेपी को 4 से 8 सीटे ही मिल सकती हैं। वहीं, कांग्रेस के हाथ 26 से 30 सीटें आने की उम्‍मीद है। अन्‍य को 0 से 2 सीटें मिल सकती हैं।

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टाइम्स नाऊ और नवभारत का सर्वे भी कुछ ऐसे ही कहानी बता रहा है। इस सर्वे में भी बीजेपी की हालत पतली नज़र आ रही है इस सर्वे में भी बीजेपी को 4 से 8 सीटें मिलती नज़र आ रही हैं जबकि कांग्रेस को 26 से 30 सीटें मिलती दिख रही हैं इस सर्वे में अन्य को कोई भी सीट मिलते नज़र नहीं आ रही। ज़ी न्यूज-सी फॉर सर्वे भी बीजेपी को दुखी कर रहा है इसमें भी ग्वालियर-चंबल रीजन में बीजेपी के खाते में बहुत कम सीटें आती बताई हैं। इस सर्वे के मुताबिक ग्वालियर चंबल रीजन में कांग्रेस के खाते में 24 से 26 और बीजेपी के खाते में सिर्फ 8 से 10 सीटें आती हुई बताई गई हैं अन्य के खाते में 0 से 1 सीट आने की संभावना दिखाई गई है। हालांकि ये सभी सर्वे हैं असली परिणाम तो 3 दिसंबर को ही सामने आएंगे इसलिए अपनी पसंद की सरकार चुनने के लिए प्रदेश तक आप से अपील करता है कि घर से बाहर निकलें 17 नवंबर को मतदान करें।

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