Harda News: बालागांव मैं धूमधाम से मनाया गया भुजरिया पर्व क्यों मनाते हैं भुजरिया पर्व कब से शुरू हुई परंपरा

By Ankush Baraskar

Harda News: बालागांव मैं धूमधाम से मनाया गया भुजरिया पर्व क्यों मनाते हैं भुजरिया पर्व कब से शुरू हुई परंपरा

Harda News/संवाददाता हरदा से मदन गौर :- कल संपूर्ण जिले में भुजरिया का पर्व हर्षोल्लास से मना लेकिन बालागांव में भुजरिया का पर्व धूमधाम से मनाया गया सावन महीने के नाग पंचमी को छोटी-छोटी टोकरियों मैं मिट्टी डालकर उसमें गेहूं के दाने बोऐ जाते हैं। इसे भुजरिया कहते हैं रक्षाबंधन के अवसर पर फसल की प्राण प्रतिष्ठा के रूप में इन्हें छोटी टोकरियां या गमले में उगाया जाता है जिस टोकरी या गमले में गेहूं बोए जाते हैं उसे घर के किसी पवित्र स्थान पर स्थापित किया जाता है उनमें प्रतिदिन रोज जल दिया जाता है और देखभाल की जाती है सुबह शाम बोए हुए जवारे की पूजन की जाती है गेहूं धीरे धीरे पौधे बनकर बढ़ते हैं.

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महिलाएं उनकी पूजा अर्चना कर एक पखवाड़े सेवा और पूजन करती रहती हैं जिस प्रकार देवी के सम्मान में देवी गीतों को गाकर ज्वारे जस सावन के गीत गाया जाता है वैसे ही महिलाएं सामूहिक भुजरियां के गीत गाती हैं अच्छी वर्षा एवं भरपूर भंडार भरने वाली फसल किसानों के लिए कामना करते हुए फसल की प्राप्ति के लिए भोजली का आयोजन किया जाता है सावन की पूर्णिमा तक इसमें 4: से 6:ईच तक पौधों निकल आते हैं यह पीले होकर भुजरिया का रुप ले लेते हैं रक्षाबंधन राखी के 1 दिन बाद पड़मा तिथि के दिन सुबह से इन ज्वारो को टोकरियों मैं बाहर निकाला जाता है और महिलाओं द्वारा इसकी पूजन अर्चना कर गीत गाते हुए पूरे ग्राम के मुख्य द्वार पर इसकी पूजा अर्चना की जाती हैपू।

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रे ग्राम वासियों एकत्रित होकर भुजरिया का पर्व भाईचारे और प्रेम शांति का संदेश एक दूसरे को देते हैं इन भुजरियों को तालाब और नदी में गाजे बाजे के साथ एवं जवारे गीत गाते हुए पूरे ग्राम के ग्रामीणों सहित इसे विसर्जन किया जाता है बाद में विसर्जन के बाद भुजरिया को ग्रामीणों उस भुजरिया को उठा कर लाते हैं और भगवान के मंदिरों में चढ़ाते हैं और एक दूसरे को भी यह भुजरिया दी जाती है जिससे भाईचारा प्रेम और अधिक बढ़ता है. बुंदेलखंड का कल्चर अपने आप हमें निराला और पुरातन कालीन है जिसकी मान्यताएं जितनी धार्मिक है उतनी ही सामाजिक और विज्ञान भी राखी के दूसरे दिन मनाए जाने वाली कजलियां पर्व जिसे भुजरिया नाम से भी जाना जाता है बुजुर्गों के अनुसार कजलियां पर्व प्रकृति प्रेम और खुशहाली से जुड़ा है यह पर्व भारतीय संस्कृति में शाँति,सौहार्द्र,प्रेम और भाईचारे के पावन त्यौहर भुजरिये की हार्दिक शुभकामनाएं यह पर्व आप हम सभी के लिए खुशहाली और समृद्धि लेकर आये यही कामनाओ के साथ बालागांव मै भुजरिया का पर्व धुमधाम से मनाया गया

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