Indore News: इंदौर से 45 किलोमीटर दूर मालंदी के जंगलों में फिर से बाघ के मौजूद होने की खबर सामने आई है। गांववालों ने बाघ को देखा, जिसके बाद उन्होंने जंगलों में जाना बंद कर दिया है और शाम के समय गांव में भी अकेले घूमने से परहेज कर रहे हैं डेढ़ साल पहले भी महू और चोरल के जंगलों में तीन महीने तक बाघ की गतिविधि देखी गई थी। तब बाघ ने गाय-बकरी के अलावा एक वृद्ध को भी अपना शिकार बनाया था।
यह भी पढ़े- बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में पुलिस ने किया बड़ा खुलासा, बेटे जीशान सिद्दीकी भी थे निशाने पर
वन विभाग के अधिकारियों ने भी बाघ के दोबारा दिखाई देने की पुष्टि की है। ग्रामीणों से जानकारी मिलने के बाद विभाग ने बाघ की खोज शुरू कर दी है। यह पता लगाया जा रहा है कि पिछले साल इंदौर के जंगलों में जो बाघ दिखा था, वही है या कोई दूसरा। वन विभाग पगमार्क (पंजों के निशान) की तुलना कर इस बात का पता लगाने की तैयारी कर रहा है।
बाघ दिखने के बाद सतर्क हुए ग्रामीण
ग्रामीणों ने मालंदी के जंगलों में बाघ को देखा। यहां के माणपुर और आशापुरी के घने जंगल बाघ के रहने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। मानसून के बाद लोग इन क्षेत्रों में पिकनिक मनाने भी आते हैं। अब गांववालों को सतर्क किया जा रहा है। वन विभाग ने पर्यटकों के लिए चेतावनी बोर्ड लगाने की भी तैयारी की है ताकि किसी को बाघ का शिकार न होना पड़े।
यह भी पढ़े- मोहन यादव सरकार ने किये IPS अधिकारियों के तबादले, कई जिलों के पुलिस अधीक्षक बदले
वन विभाग की टीम सक्रिय
इंदौर के डीएफओ का कहना है कि ग्रामीणों ने बाघ को देखा है, जिसके बाद हमने इलाके को अलर्ट कर दिया है। हमारी टीम भी बाघ की खोज कर रही है। माना जा रहा है कि बाघ बारवाह के जंगलों से माणपुर के जंगलों में आया होगा। बाघ के पंजों के निशान भी मिले हैं।
निर्माण कार्य से महू क्षेत्र में पहुंच रहे हैं जंगली जानवर
बारवाह और बलवाड़ा के जंगलों से महू के जंगलों में जंगली जानवरों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। इंदौर-खंडवा फोर लेन के निर्माण कार्य के कारण अक्सर विस्फोट होते रहते हैं, जिससे वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं और अपने स्थान छोड़कर अन्य क्षेत्रों में आ रहे हैं।