Tuesday, October 3, 2023
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जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर क्यों हुई शिकायत? क्षेत्रीय नेताओं को जन आशीर्वाद यात्रा की सौंपी गई थी कमान!

अमूमन गुटबाज़ी कांग्रेस की बीमारी थी लेकिन इन दिनों मध्य प्रदेश में बीजपी भी इससे दो-चार हो रही है, स्थिति ये है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नसीहत के बाद भी गुटबाज़ी का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मध्य प्रदेश बीजेपी की ये गुटबाज़ी राजनीतिक सुर्खियां बटोर रही है। मध्य प्रदेश की अलग-अलग जगहों से बीजेपी भी जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रही है लेकिन इस यात्रा को लेकर भी तमाम तरह की शिकायतें सामने आई हैं जिन क्षेत्रीय नेताओं को जन आशीर्वाद यात्रा में कमान सौंपी थी, प्रदेश संगठन ने उन्हें बुलाया ही नहीं केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव के हस्तक्षेप के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और दूसरे ऐसे कई नेताओं को यात्रा की बागडोर सौंपी गई ग्वालियर चंबल में बीजेपी में टिकट को लेकर चल रही कलह किसी से छिपी नहीं है इस मसले को लेकर कांग्रेस भी बीजेपी पर हमलावर है।

केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत की गई

जन आशीर्वाद यात्रा के पोस्टर-होर्डिंग्स के बैकड्राप में लगी नेताओं की फोटो के मामले में भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत की गई है कि उसमें वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया है। इसी तरह मंत्री गोपाल भार्गव को चुनाव की किसी भी समिति में स्थान नहीं देने का मामला भी केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में लाया गया है। पिछले दो महीने से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के दौरे बढ़ा दिए हैं। स्थानीय नेताओं को उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव केंद्रीय नेतृत्व की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा। उन्होंने प्रदेश के सत्ता-संगठन से जुड़े नेताओं को साफ कर दिया था कि वो अपने गिले-शिकवे भुलाकर सामंजस्य और समन्वय बनाकर चुनावी तैयारी में जुट जाएं। अमित शाह का मतलब स्पष्ट था कि गुटबाजी की अब गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।

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पांच स्थानों से अलग-अलग यात्राएं निकालीं गई

इसके बाद सभी नेताओं को समान महत्व देने के मकसद से ही पार्टी ने एक जन आशीर्वाद यात्रा निकालने की जगह प्रदेश के पांच स्थानों से अलग-अलग यात्राएं निकालीं उच्च स्तरीय बैठक में सभी पांच यात्राओं में पहले चरण में प्रदेश के सभी बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई गई थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह का नाम केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से तय किए जाने के बाद भी महाकौशल से निकलने वाली यात्रा में उन्हें स्थान नहीं दिया गया उनका नाम जोड़ने के लिए भूपेंद्र यादव को दखल देना पड़ा इसी तरह मंत्री गोपाल भार्गव का नाम भी चुनाव संबंधित किसी भी समिति में शामिल नहीं किया गया।

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कनिष्ठ मंत्रियों को एक से ज्यादा जिम्मेदारी दी गई

जबकि उनसे कनिष्ठ मंत्रियों को एक से ज्यादा जिम्मेदारी दी गई है। नाराजगी के चलते गोपाल भार्गव ने स्वयं को अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित कर लिया है यात्रा के पोस्टर-होर्डिंग्स के बैकड्राप से भी गोपाल भार्गव और राकेश सिंह के चेहरे गायब हैं जबकि महिला होने के नाते राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार को उसमें स्थान दिया गया है। पाटीदार के चेहरे पर भी नेताओं को आपत्ति है। दबी जुबान में वो कह रहे हैं कि ओबीसी से कृष्णा गौर से लेकर सांसद रीति पाठक और एससी वर्ग से संध्या राय का अधिकार वरिष्ठता की वजह से ज़्यादा है।

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