Wednesday, November 29, 2023
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जाने 2023 की दिवाली का शुभ मुहूर्त, आइए जानते है कैसे होगा घर में माँ लक्ष्मी का आगमन!

दीवाली या दीपावली रोशनी के इस पावन त्योहार का मुख्य दिन है, जो बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन धन-संपदा और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, पूजा करते हैं और दीये जलाकर और कुछ पटाखे फोड़कर आनंद लेते हैं, तो आज के इस एपिसोड में हम इस पावन त्यौहार दिवाली की ही बात करने वाले है, आखिर क्यों मनाई जाती है दिवाली, दिवाली का महत्व और 2023 में मनाई जाने वाली इस दिवाली का शुभमुहूर्त क्या है।

इस दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की जाती है

दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की जाती है ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, उन्हें पूरे साल समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। दिवाली यानी रौनक, पकवान, मुस्कुराहट, खुशियां, साफ सफाई, रंगोली और दीये का त्योहार है, दीवाली रोशनी के इस पावन त्योहार का मुख्य दिन है जो बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस दिन धन-संपदा और समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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बाजारों में भी दिवाली की रौनक देखते बन रही है

लोग नए कपड़े पहनते हैं, पूजा करते हैं और दीये जलाकर और कुछ पटाखे फोड़कर आनंद लेते हैं। बाजारों में भी दिवाली की रौनक देखते बन रही है, दिवाली की खुशियां मनाने के लिए लोग तैयार है घरों में सजाबट चल रही है शॉपिंग और आभूषणों की खरीदारी हो रही है। दिवाली का पर्व हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, जिसका धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। वैसे तो हिंदू धर्म में सभी तीज-त्योहार उदयातिथि के अनुसार मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली की पूजा प्रदोष काल में होती है इसलिए साल 2023 में 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी।

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इस दिन राम जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे

इस दिन शाम को 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 7 बजकर 35 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री राम चंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर और लंकापति रावण का नाश करके अयोध्या लौटे थे इस दिन भगवान श्री राम चंद्र जी के अयोध्या आगमन की खुशी पर लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से दिवाली की शुरुआत हुई और आज भी यह परम्परा को लोग बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मानते है।

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