भू बैकुंठ कहे जाने वाले और भारत के चार धामों में एक बदरीनाथ धाम मंदिर है। नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में अलकनंदा नदी के बायीं तरफ बसे आदितीर्थ बद्रीनाथ धाम श्रद्धा व आस्था का अटूट केंद्र है, यह तीर्थ हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है। भारत की सभ्यता और संस्कृति को संजोए रखना, तीर्थ स्थलों की महिमा को आम भाषा मे हर घर तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। इसी लिए हमारा प्रयास रहता है।
पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है
प्रत्येक दिन धर्म संस्कृति से जुडी अहम बाते आप तक लेकर आये। यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर एवं नारायण की तपोभूमि है, बदरीनाथ, भगवान विष्णु के 24 अवतारों में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। इस धाम के बारे में कहावत है कि-“जो जाए बद्री,वो न आए ओदरी”यानि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे माता के गर्भ में दोबारा नहीं आना पड़ता। प्राणी जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाता है। आपको बता दें कि बद्रीनाथ नाम का अर्थ माउंट बद्री के भगवान होता है। बद्रीनाथ नाम का खास महत्व है क्योंकि इसका मतलब माउंट बद्री के भगवान है जिसे काफी अच्छा माना जाता है।
बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का “आठवाँ वैकुंठ” कहा जाता है
भगवान विष्णु के बदरी रूप को समर्पित बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का “आठवाँ वैकुंठ” कहा जाता है। बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड में चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धामों में से एक है ,बदरीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है। इन पर्वतों को नर नारायण पर्वत कहा जाता है। कहते हैं कि यहां भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी। माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा पाने का एक आसान रास्ता बद्रीनाथ से होकर जाता है, ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त श्री हरि विष्णु की कृपा पाने के लिए पूरी श्रद्धा से बद्रीनाथ पहुंचते हैं। भगवान विष्णु उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
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भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह ही जागते हैं
यहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह ही जागते हैं। यहां मंदिर के पास एक शिला है। इस शिला को ध्यान से देखने पर भगवान की आधी आकृति नज़र आती है जब यह आकृति पूर्ण रूप ले लेगी तब यहां पर ही बद्रीनाथ के दर्शन का लाभ प्राप्त किया जाएगा। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सतयुग में यहां भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन हुआ करते थे। शास्त्रों में वर्तमान बद्रीनाथ यानि बद्री विशाल धाम को भगवान का दूसरा निवास स्थान बताया गया है। कहते हैं कि हर व्यक्ति को जीवन में एक बार बदरीनाथ के दर्शन अवश्य करने चाहिए, शास्त्रों में बदरीनाथ को दूसरा बैकुण्ठ बताया गया है।