सतपुड़ा की वादियों में रानीपुर के पास बसा भोपाली का छोटा महादेव पावन स्थल है, यहां प्राकृतिक रूप से प्रगट भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए देनवा नदी के दर्शन करते हुए पहुंचना पड़ता है, इस तपस्थली की गुफा में पवित्र जलधारा प्रवाहित होती है, इस रहस्यमयी गुफा का उल्लेख शिवपुराण में भी मौजूद है, जहां बहुत दुर्गम रास्तों से होते हुए जाना पड़ता हैं। तो आज के इस एपिसोड में हम भोपाली का छोटा महादेव पावन स्थल के ही बारे में ही बात करेंगे।
मंदिर बेहद सुन्दर और आकर्षक मंदिरो में से एक है
बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी विकासखंड के रानीपुर ग्राम से 8 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद यह मंदिर बेहद सुन्दर और आकर्षक मंदिरो में से एक है। यहां प्राकृतिक रूप से प्रगट भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग है। प्रतिवर्ष शिवरात्रि व श्रावण मास में जिले भर से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए यहाँ आते हैं। छोटे महादेव को लेकर मान्यता है कि भगवान भोले शंकर ने सबसे पहले पचमढ़ी में साधना की इसके उपरांत भोपाली की पावन गुफा मे तपस्या की थी। इस तपस्थली की गुफा में पवित्र जलधारा प्रवाहित होती है। इस पावन स्थल पर सतह से 1500 फीट की ऊंचाई पर एक कुआं है।
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शिव की जटाएं हैं, इसके दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं
जिसमें शिव की जटाएं हैं, इसके दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं। भोपाली के छोटे महादेव की आकृति शेषनाग की फनी जैसी दिखाई देती है। शिवरात्रि पर यह तीर्थ स्थल हर हर महादेव, जय भोले, जय सेवा से गूंज उठता है। भगवान भोले नाथ के दर्शन करने व अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दूर-दूर से लोग बैलगाड़ी, साइकिल, बाइक, जीप, बस और ट्रैक्टर आदि से पहुंचते हैं, और रात भर रुकते भी हैं। मान्यता है कि फसलों पर यदि कोई बीमारी आती है तो इस पावन स्थली से जल ले जाकर किसान अपने खेतों में छिड़काव कर देते हैं तो वह दूर हो जाती है।
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भोपाली स्थित छोटे महादेव में विशाल मेला लगता है
महाशिवरात्रि पर भोपाली स्थित छोटे महादेव में विशाल मेला लगता है। भगवान भोले शंकर के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे समाजसेवी संगठनों द्वारा यहां पर आयोजित किए जाते हैं। यहां पर कुछ श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद, भोजन, भंडारे की भी व्यवस्था की जाती है। शिवरात्रि में कई लोग पैदल यात्रा भी करते हैं। पैदल यात्रा का भी बड़ा महत्व बताया गया है, यहां पर ध्वज त्रिशूल भी चढ़ाया जाता है। इस पावन स्थल पर यज्ञ पूजन, भजन, रामसत्ता, रामायण, भागवत कथाओं का भी आयोजन किया जाता है।