नवंबर के दूसरे सप्ताह की शुरुआत के साथ ही दीपावली का त्यौहारी सीजन शुरू हो गया है। इस कड़ी में दीपावली के पर्व से पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है इस दिन लोग बाजारों से बर्तन या धातु से बनी अन्य चीजों की खरीददारी करते हैं, जिसमें दोपहिया वाहनों से लेकर चारपहिया वाहन तक शामिल होते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस दिन बर्तन या अन्य धातु क्यों खरीदी जाती है। धनतेरस का पर्व धन और स्वास्थ से जुड़ा है इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा करने और खरीदारी करने से धन और उस वस्तु में 13 गुना वृद्धि होती है।
धनवंतरी की उपासना से स्वास्थ में तेरह गुना लाभ मिलता है
वहीं भगवान धनवंतरी की उपासना से स्वास्थ में तेरह गुना लाभ मिलता है। इसलिए इस दिन 13 की संख्या शुभ मानी जाती है। इस साल धनतेरस का पर्व कल यानी 10 नवंबर को है। धनतेरस के दिन पारंपरिक तौर पर मां लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अच्छे से सजाते हैं। हिंदू परंपराओं के अनुसार, धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान उभरे थे, उनके एक हाथ में अमृत से भरा घड़ा था और दूसरे हाथ में आयुर्वेद के बारे में पवित्र ग्रंथ था। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
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धनतेरस का महूर्त 10 नवंबर को 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और 11 नवंबर को 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा
जिसे हम धनत्रेयोदशी के नाम से भी जानते हैं। धनतेरस के शुभ मुहूर्त की बात करें, तो यह 10 नवंबर को 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और 11 नवंबर को 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। बता दे की इस दिन लोग अधिकांश बर्तनों की खरीददारी करते हैं और इसमें भी सबसे अधिक पीतल के बर्तनों की खरीदारी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बर्तनों की खरीददारी करने से वैभव प्राप्त होते हैं इस दिन लक्ष्मी-गणेश के पूजन के साथ सोना-चांदी, बर्तन व अन्य धातुओं की भी खरीददारी की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुना वृद्धि होती है।