या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है, तो वही नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बेहद ख़ास माना जाता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति को संजोए रखना, तीर्थ स्थलों की महिमा को आम भाषा मे हर घर तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है इसी लिए हमारा प्रयास रहता है कि प्रत्येक दिन धर्म संस्कृति से जुडी अहम बाते आप तक लेकर आये। माता का यह दिन माँ महागौरी को समर्पित माना जाता है।
महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है
ऐसी मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है तो आज के इस एपिसोड में हम बात करेंगे माता की पूजा कैसे करे और माता रानी को कैसे प्रसन्न करे। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं माता की चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं मां का प्रिय पुष्प रात की रानी है इनका राहु ग्रह पर आधिपत्य है, यही कारण है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है।
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मां बैल की सवारी करती हैं मां का स्वभाव बेहद शांत है
मां को नीला रंग बेहद पसंद है इसलिए इस दिन नीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए मां बैल की सवारी करती हैं मां का स्वभाव बेहद शांत है। राजा हिमालय के घर जन्मी माता पार्वती को ही हम माँ गौरी के नाम से जानते है। मान्यता है की अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। बता दे की देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है।
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महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है
बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है। महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है। शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है। महागौरी को मोगरे का फूल अति प्रिय है। ऐसे में साधक को इस दिन मां के चरणों में इस फूल को अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही मां को नारियल की बर्फी और लड्डू अवश्य चढ़ाएं क्योंकि मां का प्रिय भोग नारियल माना गया है पूजा के समापन के पहले मां गौरी की आराधना मंत्रों का पाठ करें।