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किसानो के किस्मत का ताला खोल देगी लाल भिंडी की खेती, कम समय में होगा ताबड़तोड़ उत्पादन, देखे पूरी जानकारी

इसकी खेती सरल है और इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.यह जानकारी लाल भिंडी की उन्नत खेती के लिए महत्वपूर्ण है. 

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लाल भिंडी, जिसे बैंगन के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण सब्जी है जिसकी भारत में व्यापक रूप से खेती की जाती है। इसकी खेती सरल है और इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.यह जानकारी लाल भिंडी की उन्नत खेती के लिए महत्वपूर्ण है. 

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भिंडी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु 

लाल भिंडी एक गर्म मौसम की फसल है और 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में अच्छी तरह से बढ़ती है.  लेकिन अत्यधिक गर्मी या ठंड इसके बढ़त को रोक सकती है.लाल भिंडी अच्छी जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है. मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए. बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बना लें.

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कैसे करे लाल भिंडी की बुआई 

लाल भिंडी की बुवाई काअच्छा समय मानसून की शुरुआत, लगभग जून से जुलाई के बीच होता है. जब तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाता है तो आप इसकी बुवाई कर सकते हैं.खेत में क्यारियां बना लें, जिनकी चौड़ाई लगभग 3 फीट और लंबाई आवश्यकतानुसार हो.क्यारियों के बीच लगभग 1.5 फीट का अंतर रखें.,बीजों को क्यारियों में लगभग 1 से 1.5 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं.बीजों के बीच लगभग 10 से 12 सेंटीमीटर का अंतर रखें.,बीजों को मिट्टी से ढक दें और हल्का पानी दें.

लाल भिंडी की कई किस्में उपलब्ध हैं, 

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पूसा संतोष
महाबीज
अर्का अनामिका
परभणी क्रांति

इस प्रकार करे खेती की तैयारी 

बुवाई से पहले खेत में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद डालें.
इसके अलावा, आप संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम उर्वरक भी डाल सकते हैं.
पौधों के शुरुआती विकास के दौरान नियमित रूप से सिंचाई करें.
जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, सिंचाई की मात्रा कम करें. मिट्टी को नम रखें लेकिन गीली न होने दें.

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लाल भिंडी का उत्पादन 

लाल भिंडी कई तरह के कीटों और रोगों से ग्रसित हो सकती है.फसल की नियमित निगरानी करें और किसी भी तरह के संक्रमण का पता चलने पर जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें.लाल भिंडी की फलीयां कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं, जब वे 4 से 6 इंच लंबी हो जाती हैं और उनका रंग हल्का हरा हो जाता है. एक अच्छी तरह से प्रबंधित खेत से प्रति एकड़ 4 से 5 टन तक की उपज प्राप्त की जा सकती है.

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