Akshardham Temple: क्या आप जानते है गिनीज बुक में क्यों दर्ज है अक्षरधाम मंदिर ? देखते रह जाएंगे अक्षरधाम मंदिर की खूबसूरती और भव्यता, पढ़े पूरी खबर, देश की राजधानी दिल्ली में स्थित अक्षरधाम मंदिर न केवल दिल्ली बल्कि दुनिया के सबसे खूबसूरत जगहों में गिना जाता है,,आज हम आपको 100 एकड़ की भूमि में फैले इस मंदिर की खासियत यानी इसकी खूबसूरती और भव्यता के बारे में बताने जा रहे हैदिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, जिसे स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर नाम से भी जाना जाता है, यह दिल्ली के टॉप टूरिस्ट प्लेस में से एक माना जाता है, साथ ही अक्षरधाम मंदिर देश के सबसे बड़े हिंदू टेंपल कॉम्प्लेक्स में से भी एक है। अक्षरधाम मंदिर की खूबसूरती और भव्यता आपको हैरान कर देगी। इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था ने कराया था, यह मंदिर भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण है। आपको यहां इन तीनो चीज़ें देखने को मिलेंगी। देखे वीडियो,
अक्षरधाम मंदिर की अद्भुत बनावट
इस सुंदर मंदिर को बनने में 5 साल का वक्त लगा था। वहीं, मंदिर 141 फुट ऊंचा, 316 फुट फैला और 356 फुट लंबा है, साथ ही मंदिर में 234 सजाए हुए पिलर, 9 गुंबद और 20,000 साधुओं, अनुयायियों और आचार्यों की मूर्तियां हैं, और तो और मंदिर के बीच के गुंबद के नीचे 11 फुट ऊंची स्वामीनारायण भगवान की अभयमुद्रा यानि भय रहित मुद्रा में बैठी हुई मूर्ति है। अक्षरधाम मंदिर के बारे में आगे बात करें तो, आपको जानकर हैरानी होगी की, मंदिर को बनाने में किसी स्टील और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है, पूरा मंदिर शुद्ध पत्थर और इतालवी संगमरमर से बना है। ज्यादा हैरान कर देने वाली बात तो यह है की बिना स्टील और कंक्रीट के बाद भी इमारत हजारों सालों तक टिके रहने की क्षमता रखती है।
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अक्षरधाम मंदिर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में क्यों दर्ज ?
प्राचीन वास्तुकला के स्टाइल वाले इस मंदिर के एक-एक पत्थर पर कलाकारों ने अपने हाथों से नक्काशी की है, और करीब 11 हजार कारीगरों की मेहनत से मंदिर बना है। मंदिर को गिनीज बुक में दर्ज होने की बात करें तो, 17 दिसंबर 2007 को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू टेंपल कॉम्प्लेक्स होने की वजह से अक्षरधाम मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है। आपको बता दें, मुख्य मंदिर के चारों तरफ एक झील बनी हुई है जिसे नारायण सरोवर नाम से जाना जाता है,,गौर करने वाली बात यह है की, इस सरोवर का पानी देशभर के उन 151 झीलों और नदियों से इक्ट्ठा कर के लाया गया था जिनपर स्वामीनारायण का आशीर्वाद था। इतना ही नहीं सरोवर के चारों तरफ 108 गौमुख लगे हैं जो 108 देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।