Tuesday, September 26, 2023
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क्या आप जानते है सदियों पुराना वो शिव मंदिर जिसमें जमीन से खुद शिवलिंग प्रकट हुए थे वो कहां स्थित है ?

क्या आप जानते है सदियों पुराना वो शिव मंदिर जिसमें जमीन से खुद शिवलिंग प्रकट हुए थे वो कहां स्थित है ? विभिन्न धर्मों के संगम वाले इस देश में एक से बढ़कर एक प्राचीन मंदिर है जिनके पीछे कई रोचक कहानियां छुपी हुई है। कई मंदिर तो ऐसे हैं जिन्हें लोग चमत्कारी और रहस्यमयी भी मानते हैं। भारत अपने प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। देश के हर कोने में कई ऐसे मशहूर मंदिर है, जिनके बारे में शायद ही कोई जानता हो, चलिए इसी कड़ी में आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करते है जिसे रहस्यमयी कहना गलत नहीं होगा, जी हाँ हम बात कर रहे सैकड़ों वर्ष पुराने बिहार में बलिया जिले के छितौनी गांव में स्थित बाबा क्षितेश्वर नाथ के मंदिर की। पूरी जानकारी के लिए देखे ये वीडियो,

बाबा क्षितेश्वर नाथ मंदिर

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है,मंदिर में स्थापित शिवलिंग पृथ्वी के अंदर से खुद वा खुद प्रकट हुआ था, और तो और सबसे ख़ास बात यह है की इस मंदिर का निर्माण केवल 24 घंटे के अंदर हुआ है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सैकड़ों साल पहले छितौनी से कुछ दूर बहुवारा गांव के एक तपस्वी थे, जो हमेशा ब्रह्मपुर वर्तमान बिहार में ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दर्शन के लिए गंगा पार जाते थे। एक दिन तपस्वी को भोलेनाथ ने छितौनी में होने का इशारा किया, उन्होंने कहा की इतनी दूर मत जाओ मैं यही हूं। इसके पश्चात आस पास के ग्रामीणों की मदद से उक्त स्थान पर खुदाई की गई, खुदाई के बाद छितौनी में ही इस शिवलिंग का टुकड़ा मिला। कहा जाता है इस शिवलिंग को ऊपर लाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन जब-जब शिवलिंग को ऊपर लाया जाता, तब तब शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता था।

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भगवान शिव का अद्भुत चमत्कार

आखिरकार, लोगों ने महादेव के इस अद्भुत चमत्कार को देखकर शिवलिंग को उसी तरह रहने दिया, जमीन के अंदर ही स्थापित कर लोग पूजा अर्चना करने लगे, कालांतर से ही यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। अब बात अगर मंदिर के नाम की करें तो, क्षितेश्वर दो शब्दों से मिलकर बना है, क्षिति यानि पृथ्वी और ईश्वर यानि भगवान है। यह शिवलिंग जमीन के अंदर से निकला यही वज़ह है की इनका नाम क्षितेश्वर नाथ महादेव पड़ा।

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मंदिर का निर्माण

जब मंदिर का निर्माण होने लगा तो मंदिर के निर्माण के लिए जो दीवार जोड़ी जाती थी। वो जुड़ने के बाद गिर जाया करती थी। जिससे परेशान होकर लोग काशी के विद्वानों के पास गए, तो उन्होंने कहा की अगर 24 घंटे के अंदर इस मंदिर का निर्माण हो जाता है तो यह नहीं गिरेगा।अंत में उन विद्वानों के मुताबिक मंदिर का निर्माण कार्य 24 घंटे के अंदर ही पूरा कराया गया , जिसकेबाद दीवारें नहीं गिरीं।

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