क्या आप जानते है हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का क्या महत्त्व है ? कहां हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग ? भारत धार्मिक संस्कृतियों को मानने वाला देश है। हाल ही में सावन का महीना चल रहा है,,जिसमें शिव जी की खास पूजा अर्चना की जाती है, चलिए आज चर्चा करते है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में, सावन माह में हर किसी पर भोलेनाथ की भक्ति का रंग चढ़ा होता है। इस दौरान भक्तगण भगवान शिव के मंदिरों और शिवालयों में लाखों की संख्या में जाते हैं,,इन्हीं पवित्र शिवालयों में भगवान शिव के 12 विख्यात ज्योतिर्लिंग भी हैं। हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का खास महत्व माना गया है,,ज्योतिर्लिंग का अर्थ ‘ज्योति का लिंग’ होता है। धार्मिक मान्यताओं के हिसाब से 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ज्योति के रूप में स्वयं विराजमान हैं। सभी ज्योतिर्लिंग भारत के अलग-अलग राज्यों में मौजूद हैं। कहा जाता है की 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों के सभी दुःख दूर हो जाते हैं, तो चलिए आज हम आपको ले चलते है भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर, पूरी खबर जानने के लिए देखे ये वीडियो
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे पहला नाम आता है गुजरात में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है, कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्र देव ने किया था। 12 ज्योतिर्लिंग में अगला नंबर आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर बसे श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का है, इसे दक्षिण का कैलाश कहा जाता है, हिन्दू धर्म ग्रंथो में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का उल्लेख किया गया है। एक ऊंचे पत्थर से निर्मित चारदीवारी के मध्य में स्थित यह एक बहुत प्राचीन मंदिर है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीसरा ज्योतिर्लिंग है जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर है,इस ज्योतिर्लिंग की अलग मान्यता है, कहा जाता है की महाकाल धरती का एक मात्र मान्य शिवलिंग है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में है। इसे लेकर माना जाता है की इसी मंदिर में शिव के अनन्य भक्त कुबेर ने तपस्या की थी और शिवलिंग की स्थापना की थी, साथ ही कहा जाता है की सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह एक अकेला ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां भगवान शिव शयन करने आते हैं।
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केदारनाथ
अब अगली बारी हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर की है, भगवान शिव के इस मंदिर के कपाट अप्रैल माह में खुलते हैं और नवंबर माह में बंद हो जाते है, धार्मिक मान्यता के साथ-साथ केदारनाथ मंदिर अपने आप में अनोखा है। 12 उत्कृष्ट ज्योतिर्लिगों में छठे स्थान पर मोटेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है, मान्यता है की इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने भर से व्यक्ति को सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है। आपको बता दें यहीं से भीमा नदी भी निकलती है।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी विश्वनाथ शिव जी का एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग है,,यह विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी मशहूर है। हिन्दू आस्था के लिहाज़ से काशी विश्वनाथ श्रेष्ठ केन्द्र है।12 ज्योतिर्लिंग में से त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिन्दू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह मंदिर पूरी तरह से भोलेनाथ को समर्पित है। महाराष्ट्र के त्र्यम्बक गांव में स्थित यह आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है,,मंदिर पवित्र गोदावरी नदी के समीप है।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
अब बात करते है, झारखंड के देवघर में स्थित पवित्र वैद्यनाथ शिवलिंग की,,यह लोगों के बीच बाबा बैजनाथ धाम के नाम से प्रख्यात है। पौराणिक मान्यता है की भगवान शिव यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, यही वज़ह है की इसे ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं। दसवें नंबर पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है जो गुजरात में है,,सावन के माह में इस प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर के शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना की ख़ास महिमा है,इस मंदिर के दर्शन और पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का इन 12 ज्योतिर्लिंग में विशेष स्थान है, आपको बता दें उत्तर में जितना महत्व काशी का है, उतना ही महत्व दक्षिण में रामेश्वरम का भी है। साथ ही यह सनातन धर्म के चार धामों में से एक है, धार्मिक मान्यता है की यहां ज्योतिर्लिग पर गंगाजल चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अब अगर आखिरी और बारहवें ज्योतिर्लिंग पर नज़र डालें तो महाराष्ट्र के वेरुल नामक गांव में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग है,,पुराणों के मुताबिक़ घुश्मेश्वर महादेव के दर्शन कर लेने से इंसान को जीवन का हर सुख मिलता है, इसे घृष्णेश्वर भी कहा जाता है।