Tuesday, September 26, 2023
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माँ की महिमा है न्यारी, जानिए मैहर माता मंदिर से जुड़ी पूरी जानकारी

भारत के कल्चर को जिन्दा रखना और उसे नेक्स्ट जनरेशन तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है इसी लिए हम हर दिन धर्म संस्कृत्ति से जुडी अहम् बाते आपके सामने रखते है। आज के इस एपिसोड में हम बात करने वाले है मैहर की माता शारदा के बारे मे मैहर माता से जुडी कुछ अनसुलझी बाते। मध्यप्रदेश में यूँ तो बहुत से मंदिर है लेकिन आज हम बात करने वाले है सतना जिले में बसे मैहर माता मंदिर की इस मंदिर को लेकर कई तरह के दावे किये जाते है जो रहस्यों से भरे हुए है यह मंदिर सबसे प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है, जो मध्यप्रदेश के त्रिकुट पर्वत की मालाओं के बीच जमीन से 600 फिट की उचाई पर स्थित है इस ऐतिहासिक मंदिर को माता के 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

विंध्‍याचल की इस चोटी पर मां का हार गिरा था

ऐसा कहा जाता है कि जब महादेव देवी सती के भस्‍मीभूत शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे। उस समय भगवान विष्‍णु ने मां के शरीर को अपने चक्र से खंड-खंड कर दिया था, तभी उस समय विंध्‍याचल की इस चोटी पर मां का हार गिरा था इसी वजह है कि इस जगह को मैहर यानी कि मां का हार का नाम दिया गया इस बारे में हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी उल्‍लेख मिलता है यहाँ माता सती का हार आकर गिरा था इसी कारण इस मंदिर का नाम शारदा माता मंदिर पड़ा इस मंदिर की ख़ास बात ये है कि ये एक ऐसे पर्वत पर बसा है जो त्रिकुट के बिलकुल मध्य में स्थित है इस मंदिर तक जाने के लिए करीब 1000 सीढियाँ चढ़नी पड़ती है। इसके साथ ही मंदिर के कई रहस्य है जो मंदिर की प्राचीनता और ऐतिहासिकता के बारे में बताते है चलिए आज हम आपको बताते है कि आखिर इस मंदिर से जुड़ी ऐतिहासिक कहानी क्या है।

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आल्हा ने माता शारदा की 12 साल कड़ी तपस्या की

बुंदेलखंड में आल्हा और ऊदल नाम के दो भाई हुआ करते थे कहा जाता है कि आल्हा ने माता शारदा की 12 साल कड़ी तपस्या की थी जिसके बाद उसे अमर होने का वरदान प्राप्त हुआ था ऐसी मान्यता है कि आज भी आल्हा ऊदल घोड़े पर सवार होकर सबसे पहले मंदिर पहुंचते है। शारदा देवी के मंदिर के पीछे एक तालाब दिखाई देता है, बता दे की इस तालाब में स्नान कर आल्हा ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले माँ शारदा के दर्शन कर रक्त पुष्प चढ़ाता और माता की पूजा आरती करता उस तालाब के पास एक अखाड़ा भी दिखता है जो आल्हा का अखाड़ा है। लेकिन आज तक इन आल्हा ऊदल को कोई देख नही पाया है। कई वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने इसके पीछे का कारण, और रहस्य जानने का भी प्रयास किया है लेकिन आज तक वो नही जान पाए है।

आल्हा और ऊदल ने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया

ऐसा माना जाता है की आल्हा और ऊदल ने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था पृथ्वीराज चौहान भी माता शारदा के भक्त थे आल्हा ऊदल ने ही जंगलो के बीच जाकर माता के मंदिर की खोज की थी और वहां 12 साल तक तपस्या भी की जिसके बाद माता शारदा ने खुश होकर उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था ये ऐतिहासिक मंदिर 559 में बना था, माता वैष्णो देवी की तरह ऊंचे पर्वत पर स्थित होने के कारण इसे वैष्णो देवी धाम की ही तरह मान्यता प्राप्त है आल्हा के शारदामाई कहने के कारण यह स्थान माता शारदामाई के नाम से प्रसिद्ध हो गया धार्मिक मान्यता यह भी है कि 10वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने भी सर्वप्रथम यहाँ पूजा-अर्चना की थी।

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मंदिर के कई चमत्कार है

इस मंदिर के कई ऐसे चमत्कार है जिसके चलते देश दुनिया से कई लोग माता के दर्शन करने यहाँ आते है वैंसे तो हर समय यहाँ पर भक्तो का ताता लगा रहता है लेकिन नवरात्री के समय यहाँ पर ज्यादा भीड़ देखी जाती है भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का अकेला मंदिर है जहा मंदिर परिसर में श्री कालभैरव, हनुमानजी, काली देवी दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेषनाग, फूलमति माता, ब्रह्मदेव और जालपा देवी के मंदिरों की श्रृंखला है

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