Advertisment

भोपाल मस्जिद कमेटी में फोटो कॉपी घोटाला,कमेटी ने 1 पेज की कॉपी 16 रुपए में कराई

Photocopy scam in Bhopal Masjid Committee भोपाल मस्जिद समिति में फोटो कॉपी घोटाला सामने आया है। सरकार ने खुद इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मस्जिद कमेटी ने एक पेज के फोटोकॉपी के लिए 16 रुपये खर्च किए हैं

New Update
भोपाल मसाजिद कमेटी में फोटो कॉपी घोटाला

Photocopy scam in Bhopal Masjid Committee भोपाल मस्जिद समिति में फोटो कॉपी घोटाला सामने आया है। सरकार ने खुद इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मस्जिद कमेटी ने एक पेज के फोटोकॉपी के लिए 16 रुपये खर्च किए हैं

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भोपाल मस्जिद समिति Photocopy scam in Bhopal Masjid Committee  में फोटो कॉपी घोटाला सामने आया है। सरकार ने खुद इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मस्जिद कमेटी ने एक पेज के फोटोकॉपी के लिए 16 रुपये खर्च किए हैं। समिति ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है।यह घोटाला मस्जिद कमेटी के सचिव प्रभारी यासिर अराफात के कार्यकाल के दौरान हुआ था। रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है। जांच के लिए सरकार ने पिछड़ा और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की संयुक्त संचालक सावित्री झानिया की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था। समिति ने 15 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।समिति की जांच में पाया गया कि पूर्व सचिव प्रभारी यासिर अराफात के पास वित्तीय अधिकार नहीं थे। इसके बाद भी उन्होंने नियमों के खिलाफ टेंडर जारी किए और अनियमितताएं कीं। इस रिपोर्ट में पढ़ें कि कैसे घोटाला किया गया।

Advertisment

तीन सदस्यीय जांच समिति को क्या मिला?

शिवराज सरकार, जो 2020 में कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद सत्ता में आई थी, ने भोपाल मस्जिद कमेटी को भंग कर दिया था। तब से अब तक कमेटी के नए पदाधिकारी नियुक्त नहीं किए गए हैं। ऐसे में सचिव प्रभारी ही कमेटी का कामकाज संभाल रहे थे।3 सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन सचिव प्रभारी यासिर अराफात को वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए थे क्योंकि मस्जिद कमेटी का गठन नहीं हुआ था। इसके बावजूद उन्होंने सरकार की अनुमति के बिना 2 लाख से अधिक निकाह फॉर्मों के फोटोकॉपी के लिए टेंडर जारी कर दिया था।जबकि नियमों के अनुसार, 2.50 लाख रुपये से अधिक की सामग्री खरीदने के लिए किसी भी टेंडर की अनुमति राज्य सरकार से ली जाती है। इतना ही नहीं, दो अखबारों में टेंडर विज्ञापन प्रकाशित करने की अनिवार्य आवश्यकता को भी नजरअंदाज कर दिया गया।

16 रुपये में फोटोकॉपी ली गई जो बाजार में 5 रुपये में मिलती है।

Advertisment

रिपोर्ट में कहा गया है कि मेसर्स वेयुनटेक (16 रुपये), सॉफ्ट वेरियोड प्राइवेट लिमिटेड (22 रुपये) और स्काई सॉल्यूशन (25 रुपये) प्रति फॉर्म द्वारा निकाह फॉर्म के लिए 3 कोटेशन दिए गए थे। कर्मचारी समिति की संस्तुति के आधार पर, वायुंटेक को 2 लाख से अधिक फोटोकॉपी का ठेका दिया गया था। इसके बाद 27 सितंबर 2022 को 34 लाख 21 हजार 800 रुपये (जीएसटी सहित) का भुगतान भी किया गया था।जांच समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर इस काम का टेंडर दो अखबारों में प्रकाशित होता तो बाजार दर प्रति फॉर्म 5 रुपये से अधिक नहीं होती। ऐसे में यह काम 10 लाख 69 हजार 250 रुपये में हो सकता था। वहीं दूसरी तरफ 16 रुपये की दर से ठेका दिया गया।

40 कर्मचारियों की सीपीएफ राशि का गबन

जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में भवन रखरख के नाम पर धन के दुरुपयोग के मामले को भी उजागर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकाह आयोजन फॉर्म की फोटोकॉपी के टेंडर की तरह मस्जिद कमेटी की इमारत की मरम्मत का ठेका भी नियमों के खिलाफ दिया गया था। इसके लिए भी दो अखबारों में विज्ञापन दिए बिना तीन कोटेशन मंगवाकर ठेका दिया गया था।

Advertisment
Latest Stories