मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी के लिए बीजेपी हर संभव कोशिश कर रही है। BJP राज्य की कमजोर मानी जाने वाली 39 विधानसभा सीटों पर पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी है और बाकी सीटों पर भी,, जिताऊ उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर मंथन कर रही है। विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए ,, बीजेपी NO REPEAT फॉर्मूले को आजमाने की कवायद में है, मध्यप्रदेश में मौजूदा जिन विधायकों के खिलाफ, उनके ही क्षेत्र में मौहोल उनके पक्ष में नहीं है या जिन विधायकों की उम्र 70 प्लस हो गयी है तो उनकी जगह अब नए चेहरे को टिकट दिया जा सकता है।
और किन किन राज्यों में सफल हुआ ये फार्मूला ?
बीजेपी का ये NO REPEAT फार्मूला मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है क्योकि इसी फॉर्मूले की मदद से गुजरात में पिछले 27 सालों से सत्ता में बनी हुई है, गुजरात में बीजेपी हर बार अपने 25 फीसदी मौजूदा विधायकों का टिकट काट कर नए चेहरे को मैदान में उतारती है वही अगर सबसे घनी आवादी वाले राज्य की बात करे तो साल 2022 के उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी बीजेपी ने अपना NO REPEAT फार्मूला अपनाया था है,,, वही अब इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए अपने कुछ विधायकों का टिकट काट सकती है।
बीजेपी करा रही है चुनाव को लेकर सर्वे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी ने राज्य के एक-एक विधानसभा सीट पर,, जीत हार के समीकरण को लेकर और वर्तमान विधायकों की सक्रियता, लोकप्रियता, उम्र, जनाधार और जीतने की क्षमता को लेकर कई स्तरों पर व्यापक और बड़े पैमाने पर सर्व करवाए हैं। हर विधानसभा सीट की ग्राउंड जानकारी एकत्रित की है। इस आधार पर पार्टी ने अपने वर्तमान विधायकों को बड़े पैमाने पर बदलने का फैसला किया है।
मध्यप्रदेश में हो पायेगा NO REPEAT फॉर्मूल सफल ?
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी बीजेपी रणनीति बनाने में जुटी है. एक तरफ पार्टी पांच जन आशीर्वाद यात्राओं के जरिए मतदाताओं के बीच पहुंचने की तैयारी में है.वहीं दूसरी तरफ पार्टी चुनाव जीतने के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने की जुगत में है। अगर ऐसा होता है तो पहली बार होगा जब किसी पार्टी ने इतनी बड़ी संख्या में अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हों. सूबे में इतनी बड़ी संख्या में कभी भी मौजूदा विधायकों के टिकट नहीं काटे गए। बीजेपी ने अपने इस फॉर्मूले के जरिये गुजरात और उत्तरप्रदेश में तो सियासी फ़तेह हासिल कर ली है लेकिन देखना ये होगा की पार्टी के इस फॉर्मूले का करिश्मा मध्यप्रदेश में चल पायेगा या नहीं