MP Bhind news: एक महिला तहसीलदार ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कलेक्टर और एसडीएम द्वारा परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनका 6 साल का बेटा अस्पताल में भर्ती है, लेकिन उन्हें उससे मिलने तक की इजाजत नहीं मिल रही है। अपनी कहानी सुनाते हुए महिला तहसीलदार रो पड़ीं और उन्होंने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
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बेटे की बीमारी के बावजूद काम पर आने का दबाव
महिला तहसीलदार ने बताया कि उनका बेटा बीते कुछ दिनों से गंभीर रूप से बीमार है और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। इसके बावजूद कलेक्टर और एसडीएम उन पर लगातार काम का दबाव बना रहे हैं। वे चाहकर भी अपने बीमार बेटे से मिलने नहीं जा पा रही हैं, जिससे उनका दिल टूट रहा है।
मानसिक प्रताड़ना का आरोप
तहसीलदार ने प्रशासनिक अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें न सिर्फ काम के दौरान लगातार दबाव झेलना पड़ रहा है, बल्कि अधिकारियों के ताने और अपमानजनक शब्दों का सामना भी करना पड़ रहा है। इसके कारण उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है और वे बेहद तनाव में हैं।
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अधिकारियों से मदद की अपील
महिला तहसीलदार ने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि वह एक मां हैं और इस समय अपने बीमार बेटे के पास रहना चाहती हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने उच्च अधिकारियों से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और उन्हें अपने बेटे से मिलने की अनुमति दें।
महिला तहसीलदार की हालत से लोग भी भावुक
महिला तहसीलदार की इस स्थिति को जानकर स्थानीय लोग भी भावुक हो गए हैं। वे उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि महिला तहसीलदार को उनके बेटे से मिलने का अवसर दिया जाए। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर काफी चर्चा हो रही है और लोग तहसीलदार के समर्थन में खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों एक महिला अधिकारी को अपने बीमार बच्चे से मिलने से रोका जा रहा है लेकिन यहां पर प्रशासन की कठोरता देखने को मिल रही है।