मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सतना से अलग कर मैहर को जिला बनाने का ऐलान किया है। सीएम की घोषणा के कुछ ही घंटों में नोटिफिकेशन जारी कर नागरिकों से दावे-आपत्तियां भी मंगाई गई हैं। चुनावी साल में सरकार की पूरी कोशिश इस ऐलान के साथ ही क्रेडिट लेने की है, ताकि लोग पोलिंग बूथ पर जाने से पहले एक बार इस पर भी विचार करें। बावजूद इसके बीजेपी सरकार की कोशिशों को खुद मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ही पलीता लगा रहे हैं। मैहर को जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भोपाल में मीडिया से रू-ब-रू हुए BJP विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ पीसीसी चीफ कमलनाथ को भी बधाई दी है। त्रिपाठी ने कहा कि, ‘मैहर को ज़िला बनाने का ऐलान कमलनाथ ने किया था, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इसे पूरा किया है’
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भोपाल में लिंक रोड नंबर एक पर लगे होर्डिंग में सीएम शिवराज सिंह और कमलनाथ के साथ विधायक नारायण त्रिपाठी की तस्वीर लगी हुई है। इस होर्डिंग में मैहर क जिला बनने पर शिवराज सिंह और कमलनाथ का आभार जताया गया है। अपने बागावती तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले नारायण त्रिपाठी ने इसके साथ ही यह ऐलान भी कर दिया है कि अब विंध्य की लड़ाई लड़ी जाएगी। नारायण त्रिपाठी ने साफ कर दिया है कि विंध्य जनता पार्टी, प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अपनी ही पार्टी के सामने त्रिपाठी ने शर्त रख दी है कि अगर BJP विंध्य प्रदेश का समर्थन कर देगी। तो उनका दल चुनाव नहीं लड़ेगा। इतना ही नहीं बिजली कटौती को लेकर वह खुले तौर पर सरकार का विरोध जता चुके हैं..।
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मार्च, 2020 में कमलनाथ कैबिनेट ने मैहर को जिला बनाने की मंजूरी दी थी
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री रहते हुए मार्च, 2020 में कैबिनेट की बैठक में मैहर को जिला बनाए जाने के लिए मंजूरी दी थी। कमलनाथ सरकार गिरने के साथ ही मैहर को जिला बनाने की फाइल दबा दी गई। अब जब चुनावी साल में नारायण त्रिपाठी फिर बाग़ी रुख अख्तियार कर रहे हैं, तो बीजेपी की कोशिश विंध्य में डैमेज कंट्रोल के साथ नारायण त्रिपाठी पर भी लगाम लगाने की है। सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से BJP विधायक नारायण त्रिपाठी लंबे समय से अलग विंध्य राज्य की मांग कर रहे हैं।उन्होंने इसी मुद्दे को लेकर राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी अलग पार्टी बनाई है। जिसका नाम ‘विंध्य जनता पार्टी’ है।
नारायण त्रिपाठी के राजनीतिक सफर को भी समझिए
नारायण त्रिपाठी के सियासी सफर को भी समझ लीजिए। त्रिपाठी कई दलों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं। उन्होंने 2003 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी से जीता था। 2013 का विधानसभा चुनाव त्रिपाठी ने कांग्रेस के टिकट पर जीता। बाद में वह BJP में शामिल हो गए और इस्तीफा देकर BJP के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 2018 का विधानसभा चुनाव भी नारायण त्रिपाठी ने BJP से ही जीता था। लेकिन बाग़ी तबीयत के मालिक त्रिपाठी ने जुलाई, 2019 में पाला बदला था। जुलाई में विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने सरकार के एक बिल पर क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद दोनों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में बीजेपी और तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस दौरान दोनों विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी। नारायण त्रिपाठी ने इसे अपनी घर वापसी बताया था। इस घटना के दो दिन बाद नारायण त्रिपाठी ने फिर पाला बदला और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ बीजेपी कार्यालय पहुंचे थे। नारायण त्रिपाठी ने कहा, ‘वह कांग्रेस में कभी गए ही नहीं, कांग्रेस में उनके शामिल होने की झूठी खबर फैलाई गई’। इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि ‘खेल कांग्रेस ने शुरू किया है, खत्म हम करेंगे’। जिसके बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन को लेकर जोड़-तोड़ शुरू हुआ। जल्द ही कमलनाथ सरकार गिर गई थी। राज्य में फिर वापस बीजेपी की सरकार बनी तो नारायण त्रिपाठी के तेवर कुछ नरम पड़े। लेकिन अब फिर वो अपने पुराने अंदाज़ में लौट रहे हैं।