मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न थोक मंडियों में गेहूं की आवक में लगातार कमी देखी जा रही है, जबकि त्योहारी मांग के कारण कीमतों में वृद्धि हो रही है। आटा मिल एसोसिएशन ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
आटा मिलों ने केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और भारतीय खाद्य निगम (FCI) से आग्रह किया है कि वे ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री जल्द से जल्द शुरू करें। खुले बाजार में गेहूं की कीमतें नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं, जिससे चिंता बढ़ गई है।
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3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती है कीमत
त्योहारी सीजन के दौरान कीमतों में और भी वृद्धि की संभावना है। यदि सरकार अपने गोदामों में संग्रहित गेहूं के स्टॉक को जल्द ही बाजार में नहीं उतारेगी, तो यह आशंका है कि खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती हैं।
मौजूदा दरें 2,850 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास
हाल ही में इंदौर बाजार में मिल-उपयोग के लिए उपयुक्त गुणवत्ता वाले गेहूं की कीमतें 2,750 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। दक्षिण भारत के आटा मिल मालिक विशेष रूप से चिंतित हैं क्योंकि उन्हें उत्तरी भारत से आपूर्ति मिलती है और नए सौदे उनके लिए बेहद महंगे साबित हो रहे हैं।
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पिछले वर्ष, सरकार ने जून के अंतिम सप्ताह से ओएमएस के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू की थी और जून 2023 से फरवरी 2024 के बीच लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचा गया था। यह दर्शाता है कि आटा मिल मालिकों और प्रोसेसरों की गेहूं की मांग कितनी अधिक है। इस वर्ष भी ऐसी ही मांग बनी हुई है, और अब तक सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।