MP में 15 अगस्त के बाद एक निश्चित अवधि के लिए तबादलों पर लगी रोक हटाई जाएगी। इस दौरान सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी स्थानांतरित किए जाएंगे। ये तबादले प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर होंगे। इस साल की तबादला नीति के अनुसार, तबादला प्रक्रिया लगभग एक महीने की होगी, हालांकि तबादले की अवधि के बारे में चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा। नई तबादला नीति में पहले की तरह प्रभारी मंत्रियों को जिले के भीतर तबादले करने का अधिकार होगा।
ट्रांसफर के लिए पोर्टल तैयार
जनसंपर्क विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस बार राज्य में बड़ी संख्या में थाना प्रभारियों, तहसीलदारों और पटवारियों का तबादला होगा। मुख्यमंत्री को विधायकों से मिली शिकायतों के आधार पर कई जिलों के थानों के टीआई बदले जाएंगे। इसी तरह शिक्षा विभाग में भी बड़े पैमाने पर तबादले होंगे। इसके लिए पोर्टल तैयार कर लिया गया है। पिछली सरकार की तबादला नीति 15 जून से 30 जून तक लागू थी। इसमें प्रभारी मंत्री की मंजूरी से जिले के भीतर ही तबादले किए गए थे। वहीं जिले से बाहर और विभागों में तबादलों के लिए मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी थी।
जिले में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलेगी
पिछली तबादला नीति पर नजर डालें तो प्रभारी मंत्री की मंजूरी से जिले में तबादले किए जा सकते थे। साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग राज्य संवर्ग के प्रथम श्रेणी के विभागाध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तबादले के आदेश मुख्यमंत्री की मंजूरी से जारी करता था। हालांकि, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अभी तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दिया है। ऐसे में यह नियम कितना लागू होगा, इस पर स्पष्ट मत नहीं है।
मुख्यमंत्री की सहमति से वरिष्ठ अधिकारियों के ट्रांसफर
पिछली तबादला नीति के अनुसार, सभी विभागों के राज्य संवर्ग के विभागाध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (जो भी पदनाम से जाने जाते हैं) के तबादले के आदेश में मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी थी। वहीं शेष प्रथम श्रेणी के अधिकारियों, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों और राज्य संवर्ग के कर्मचारियों (जिले के भीतर किए गए तबादलों को छोड़कर) के तबादले प्रशासनिक विभाग मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद जारी करता था।
दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासन और पुलिस विभाग में भी उच्च स्तरीय अधिकारियों के बल्क ट्रांसफर किए जाएंगे। लोकसभा चुनाव के आचार संहिता से पहले ही सरकार ने बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए थे। कई अधिकारियों को बिना विभाग के मंत्रालय में पोस्टिंग दी गई थी और कई अधिकारियों के दायित्व बदले गए थे।
20% ट्रांसफर संभव
शिवराज सरकार की नीति के तहत 200 कर्मचारियों वाले कैडर में 20 प्रतिशत, 201 से दो हजार संख्या होने पर 10 प्रतिशत और दो हजार से अधिक संख्या होने पर 5 प्रतिशत तबादले का नियम है। स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की व्यवस्था की गई थी।
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3 साल तक नहीं होंगे फिर ट्रांसफर
साल 2023 में सरकार ने फैसला किया था कि नई शिक्षा नीति में एक बार स्वैच्छिक तबादला होने पर विशेष परिस्थितियों को छोड़कर 3 साल तक तबादला नहीं होगा। साथ ही यह भी तय किया गया कि किसी भी स्कूल को शिक्षक रहित नहीं छोड़ा जाएगा।