Tuesday, November 28, 2023
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नौ ज्वालाओ से प्रज्वलित मंदिर में क्यों मानी थी अकबर ने हार? आइए जानते है इस मंदिर से जुड़ी कुछ अहम बातें!

हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा घाटी में मौजूद ज्वालामुखी मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है। यह मंदिर हिंदू भक्तों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है, यह स्थान एक ऐसे मंदिर के रूप में जाना जाता है। जिसमें कोई मूर्ति नहीं है, और भक्त मंदिर के अंदर की लौ को सम्मान देते हैं, जिसे देवी ज्वालामुखी का स्वरूप माना जाता है। यह देवी ज्वालामुखी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां देवी सती की जीभ गिरी थी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र का उपयोग करके सती के शव को काटा तो उनका शरीर विभिन्न स्थानों पर 51 टुकड़ों में बिखर गया। ज्वालामुखी को एक ऐसा स्थान माना जाता है, जहां उनकी जीभ गिरी थी। इस मंदिर को जोता वाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

माता सती की जीभ यहां माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। यहां माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं और भगवान शिव यहां उन्मत भैरव के रूप में स्थित हैं ‘ज्वाला’ ज्वाला है और ‘मुखी’ ‘मुंह’ है। माना जाता है कि आग की लपटें उसके मुंह से निकल रही थीं। मंदिर में कुल नौ ज्वालाएं प्रज्वलित हैं, जो नौ देवियों-महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विद्या, बासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं ज्वालामुखी देवी के मंदिर को जोता वाली का मंदिर भी कहा जाता है, ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी छोटी-छोटी लपटें हैं जो सदियों पुरानी चट्टानों में दरार के माध्यम से हर रोज प्रज्वलित होती हैं। ज्वालामुखी मंदिर का निर्माण सबसे पहले राजा भूमि चंद ने किया था, जिन्हें इस पवित्र स्थान के बारे में एक सपना आया था

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यह आजतक पता नहीं चला की आखिर यह ज्वाला यहां से कैसे निकल रही है

जहां उन्होंने जाकर खोजने का फैसला किया। इस स्थान की खोज करने के बाद, उन्होंने इसी स्थान पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया, जिसे ‘ज्वालामुखी’ के नाम से जाना जाता है। आजतक इसका कोई रहस्य नहीं जान पाया है कि आखिर यह ज्वाला यहां से कैसे निकल रही है। कई भू-वैज्ञानिक ने कई किमी की खुदाई करने के बाद भी यह पता नहीं लगा सके कि यह प्राकृतिक गैस कहां से निकल रही है। साथ ही आजतक कोई भी इस ज्वाला को बुझा भी नहीं पाया है, आजादी के बाद भी कई भूगर्भ वैज्ञानिक भी तंबू गाड़कर बैठ ज्वाला की जड़ तक पता लगाने के लिए बैठ गए थे लेकिन उनको भी कोई जानकारी नहीं मिली, यह बातें सिद्ध करती हैं कि यह चमत्कारिक ज्वाला है। मंदिर से निकलती ज्वाला का रहस्य आज भी बना हुआ है।

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