उसी के गोबर से परहेज करता है ये जानवर, अगर छिड़क दिया घोल तो कभी खेत के आसपस भी नहीं फटकेंगे जंगली जानवर

By Ankush Baraskar

उसी के गोबर से परहेज करता है ये जानवर, अगर छिड़क दिया घोल तो कभी खेत के आसपस भी नहीं फटकेंगे जंगली जानवर

नीलगाय भारत के कई इलाकों में किसानों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी हैं. पलामू के किसान भी नीलगाय से काफी परेशान हैं. ये नीलगाय सब्जी की खेती और दूसरी फसलों को नष्ट कर रही हैं. फसलों को इन नीलगायों से बचाने के लिए किसान कई तरह के उपाय अपनाते हैं, लेकिन फिर भी इनसे पूरी तरह निजात नहीं मिल पाती है.

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आज हम आपको ऐसे कुछ तरीके बताएंगे जिनको अपनाकर आप अपने खेतों को नीलगाय से सुरक्षित रख सकते हैं.

  1. नीलगाय का गोबर करेगा आपकी मदद
    क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक रमेश कुमार का कहना है कि अक्सर देखा गया है कि जहां पर भी नीलगाय झुंड में बैठती हैं, वे अपना मुंह नीचे की तरफ करके बैठती हैं. ऐसा इनके गोबर की वजह से होता है. ऐसे में अगर किसान नीलगाय के गोबर को घोलकर खेत में छिड़क दें तो फसल को बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गोबर की गंध की वजह से नीलगाय फसल से दूर रहेंगी और फसल बच जाएगी. साथ ही, यह घोल जैविक कीटनाशक की तरह भी काम करेगा.
  2. नीम का पंच भी करेगा बचाव
    विशेषज्ञ ने बताया कि नीलगाय से बचाव के लिए किसान खेत में गोबर का घोल बनाकर हर 10 दिन में फसलों पर छिड़क सकते हैं. इसके अलावा, नीलगाय का गोबर घोलकर भी खेत में छिड़कें. इसकी गंध की वजह से नीलगाय फसल को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी. साथ ही, फसल को जैविक खाद की तरह भी फायदा मिलेगा.

नीम के खली से भी फसल को बचाया जा सकता है. इसके लिए किसानों को नीम के खली और ईंट भट्टी की राख का बराबर मात्रा में पाउडर बना लेना चाहिए. इसके बाद खेत में प्रति एकड़ 6 किलो की दर से इसका छिड़काव करें. इससे फसल को भी फायदा होता है. नीम का खली कीट-पतंगों और बीमारियों से भी बचाता है. वहीं, इसके छिड़काव की वजह से नीलगाय खेतों के आसपास नहीं घूमती हैं. नीलगाय नीम की गंध से दूर रहती हैं. किसान 15 दिन के अंतराल पर इसका छिड़काव कर सकते हैं.

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  1. घरेलू नुस्खा भी है कारगर
    विशेषज्ञ ने बताया कि नीलगाय से फसल को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसान घर पर ही घरेलू घोल तैयार कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले उन्हें दही का मट्ठा, लहसुन और रेत की जरूरत होगी. 4 लीटर मट्ठा, आधा किलो छिला हुआ लहसुन और 500 ग्राम रेत को मिला लें. इसके बाद इस घोल को पांच दिन बाद फसल पर छिड़क दें. किसान देखेंगे कि नीलगाय फसल के आसपास भी नहीं आएंगी. इस तरीके को किसानों को 15 से 20 दिन के बीच इस्तेमाल करना होगा.
  2. करंट लगाकर भी बचाव
    बताया गया कि किसान एक अन्य तरीके से भी अपनी फसल को नीलगाय से बचा सकते हैं. इसके लिए किसान खेत के चारों तरफ तार लगा सकते हैं. इसके बाद इस तार को 12 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दें, जिससे तार को छूते ही करंट का झटका लगेगा. इससे नीलगाय फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी. साथ ही, बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर प्लेट भी लगाई जा सकती है.

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