Friday, September 29, 2023
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Raksha Bandhan 2023: रक्षा बंधन पर भद्रा का साया, इस समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जानें कौन है भद्रा?

Raksha Bandhan 2023 Bhadra Time: रक्षा बंधन पर भद्रा का साया, इस समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जानें कौन है भद्रा, भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन श्रावण के पावन महीने में मनाया जाता है। इस साल भी रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया पड़ रहा है. भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा यानी 30 और 31 अगस्त को मनाया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी बहनें असमंजस में हैं कि वे अपने भाइयों की कलाई पर किस दिन राखी बांधें।

आपको बता दें कि पंचांग के अनुसार 30 अगस्त बुधवार की रात 9.05 बजे से 31 अगस्त की सुबह 9.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक का समय शुभ माना गया है. लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण से 30 अगस्त की शाम को राखी बांधना सही नहीं है, इसलिए 31 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना शुभ माना जाता है। वैसे भद्राकाल में शुभ कार्य क्यों नहीं किये जाते और भद्रा कौन है? चलो पता करते हैं।

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जानें कौन है भद्रा और क्यों माना जाता है अशुभ 

हम आपको बता दे की पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा का जन्म दैत्यों को मारने के लिए हुआ. जन्म के समय भद्रा गधे के मुंह, लंबी पूंछ और 3 पैरों के साथ जन्मी थी. दरअसल भद्रा भगवान सूर्य और नारायण और पत्नी की छाया की कन्या और शनिदेव की बहन मानी जाती है.

Raksha Bandhan 2023: रक्षा बंधन पर भद्रा का साया, इस समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जानें कौन है भद्रा?

भद्रा ने जन्म लेते ही किया लोगों को परेशान

इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई की लम्बी उम्र की कामना करती है। भद्रा ने जन्म लेते ही लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया. वह मंगल कार्यों में विघ्न डालने लगी तथा सारे जगत उससे परेशान होने लगे. जिसके बाद सूर्यदेव को उनकी विवाह की चिंता सताने लगी. वह अपनी परेशानी लेकर ब्रह्माजी के पास गए. तब उन्होंने भद्रा को ब्रह्माजी को कुछ खास जगह ही निवास रहने का आदेश दिया और कहा कि यदि तुम्हारा कोई आदर ना करे या तुम्हारे समय में गृह प्रवेश करे या मांगलिक कार्य करे तभी तुम उसमे विघ्न डालो. तभी से ही भद्रा अपने समय में ही देव, दानव और समस्त मानव जाती को परेशान करती हैं.

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जानें भद्रकाल के बारे में

रक्षा बंधन पर भद्रा का साया, इस समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जानें कौन है भद्रा, भद्र का वास पृथ्वी पर तब होता है जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में होता है. इसी समय वह प्राणियों को परेशान करती हैं. वहीं चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक में रहता है तो भद्रा स्वर्गलोक के लोगों के कार्यों में विघ्न डालती हैं. वैसे ही चंद्रमा कन्या, तुला, धनु और मकर राशि में स्थित होगा तो भद्रा पाताल लोक में निवास करती है. यही कारण है कि जब भद्रा स्वर्ग और पाताल लोक में हो तब ही पृथ्वीलोक के प्राणियों को कोई मंगल कार्य पूरा करना चाहिए.

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