Ratan Tata Passes Away: 86 वर्ष की उम्र में देश के महान उद्योगपति ने ली अंतिम सांस, नहीं रहे टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा। देश के प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और उन्हें दूरदर्शी सोच वाला व्यक्ति बताते हुए अपनी संवेदनाएँ प्रकट कीं। मोदी ने रतन टाटा को एक असाधारण इंसान के रूप में याद किया। रतन टाटा को देश के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
भारतीय उद्योग का ‘अनोखा रतन’ अब नहीं रहा
भारत के उद्योग जगत के सबसे चमकते सितारे रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार रात 11:30 बजे अपनी अंतिम सांस ली। उम्र संबंधी बीमारियों के चलते वह बीते कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल की टीम ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। रतन टाटा की सादगी और सरल स्वभाव के लिए वे हमेशा जाने जाते थे। टाटा समूह को जिस ऊंचाई तक पहुंचाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है, वह उनकी नेतृत्व क्षमता का परिणाम है रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते और नवल टाटा के बेटे थे।
टाटा संस के चेयरमैन ने दी श्रद्धांजलि
टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “हम बहुत दुख के साथ रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वे सच में एक असाधारण व्यक्ति थे।” उन्होंने कहा, “रतन टाटा टाटा समूह के लिए केवल चेयरमैन नहीं थे, बल्कि मेरे लिए वे गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे। उन्होंने हमेशा अपने उदाहरण से प्रेरित किया। उनकी उत्कृष्टता, ईमानदारी और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता अटूट थी।”
टाटा की पहल से अगली पीढ़ियों को मिलेगा लाभ
चंद्रशेखरन ने आगे कहा, “टाटा के परोपकार और समाज के विकास के प्रति समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। उनकी पहल, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक, आने वाली पीढ़ियों को लाभान्वित करेंगी। टाटा के साथ हर व्यक्तिगत बातचीत उनकी सच्ची विनम्रता का उदाहरण है।”
ICU में भर्ती होने की अफवाहों को किया था खारिज
रतन टाटा ने अपने निधन से एक दिन पहले ICU में भर्ती होने की अफवाहों को सोशल मीडिया पर खारिज कर दिया था। उन्होंने खुद कहा था कि ये खबरें झूठी हैं। इससे पहले उनके अचानक ब्लड प्रेशर गिरने की खबरें आई थीं, जिसके चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से की थी पढ़ाई
रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में की और फिर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में BS किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई की। 1991 में वे टाटा समूह के चेयरमैन बने और 2012 में सेवानिवृत्त हुए। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा इंडिका और टाटा नैनो जैसी सफलताएं सामने आईं, जिन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति ला दी। उनके कार्यकाल में लैंड रोवर और जगुआर का अधिग्रहण टाटा समूह के लिए ऐतिहासिक था।