Wednesday, November 29, 2023
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सर्वे में बीजेपी ने उड़ाए कांग्रेस के छक्के, सर्वे रिपोर्ट ने उड़ाए सबके होश!

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव कौन जीतेगा? यह एक ऐसा सवाल है जो हर किसी रणनीतिकार या फिर चुनाव में रुचि रखने वाले व्यक्ति के दिमाग में कौंध रहा होगा। इसी बीच इन सवालों का जबाव बहुत से सर्वे दे रहे है। इन्ही सवालों के जबाव को हम आप तक पहुंचाने एक बार फिर हाजिर हो चुके है। यदि मध्यप्रदेश देश का दिल है तो मध्य भारत एमपी की धड़कन है। एमपी की धड़कन की कमान में इस बार किसके हाथ में आने वाली है ये बतायेगे इस रिपोर्ट में विस्तार से पहले मध्य भारत की कुछ खासियत जान लेते है। भोपाल को शायद आप भोजताल या झीलों की नगरी से भी जानते होंगे यहां का नवाबी कल्चर अगल बगल के क्षेत्रों में भी देखने को मिलता है साथ ही साथ मध्यप्रदेश की राजधानी होने के कारण यहां 12 महीनों सियासी हलचल सुनाई देती है।

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इस मध्य अंचल की चुनावी हवा का क्या रुख रहा है और अभी 2023 के चुनाव में किसका पलड़ा भारी है, आईये देखते है। मध्य क्षेत्र में 5 जिले भोपाल, सीहोर, विदिशा , रायसेन , राजगढ़ आते है जिसमे करीब 25 विधानसभा सीटें राजधानी भोपाल पर करीबी जिले विदिशा, रायसेन और सीहोर का चक्र है. शायद यही वजह है कि राजधानी का राजनीतिक माहौल इन जिलों पर बराबर असर करता है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का प्रदर्शन लगभग 2013 के चुनाव की तरह ही रहा. तब बीजेपी को 17 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 7 वहीँ एक सीट पर निर्दलीय की जीत हुई थी। वहीँ 2020 में सत्ता बदल के बाद भोपाल रीजन की 25 सीटों में से बीजेपी की 17 और कांग्रेस की 8 सीटें हैं।

मध्य भारत में कितने जिले ?
मध्य भारत में 5 जिले शामिल
भोपाल, सीहोर, विदिशा, रायसेन, राजगढ़
राजनीतिक माहौल का जिलों पर बराबर असर

2018 में मध्य भारत की चुनावी दास्तान
प्रदर्शन लगभग 2013 के चुनाव की तरह
बीजेपी को 17 सीटें मिलीं
कांग्रेस के खाते में 7 सीटें गई
एक सीट पर निर्दलीय की जीत

2020 में सत्ता बदल के बाद मध्य भारत
17 सीटों में से बीजेपी को मिलीं जीत
2020 में हुआ कांग्रेस को 1 सीट का फायदा
कांग्रेस ने की 8 सीटों पर जीत दर्ज

मध्य भारत बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं का कार्यक्षेत्र रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी संभाग के विदिशा और सीहोर जिले के बुधनी से चुनाव लड़ते आए हैं वहीँ बीजेपी कई दिग्गज जैसे वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा, बाबूलाल गौर के भी चुनाव क्षेत्र भोपाल और रायसेन जिले में रहे इसकी के साथ मुख्य विपक्षीय पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी भी रायसेन जिले के भोजपुर से चुनाव लड़ चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी सांची और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग भोपाल की नरेला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है की क्षेत्र के कांग्रेस-बीजेपी के कई नेताओं का बोलबोला है।

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मध्य भारत को लकेर जो सर्वे आ रहे है उनमे एबीपी न्यूज और सी वोटर सर्वे की रिपोर्ट आयी है उसमे 25 जिले बताये गए है जिसमे बीजेपी को बढ़त मिलती दिखी है। सिर्फ भोपाल जिले की बात करें तो अधिकांश सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। एबीपी के सर्वे के मुताबिक यहां बीजेपी को 18-22 सीट के साथ बढ़त मिलती नजर आ रही है. वहीं इस क्षेत्र में कांग्रेस को सिर्फ 3-7 सीट मिलता नजर आ रहा है

एबीपी न्‍यूज-सी वोटर का फाइनल ओपिनियन पोल
मध्य भारत में 25 सीटें शामिल
बीजेपी को 18-22 सीट के साथ बढ़त
कांग्रेस को सिर्फ 3-7 सीट मिलेंगी
अन्य के खाते में 0-1 सीटें

टाइम्स नाउ नवभारत के ओपिनियन पोल की माने तो यहां से भी बीजेपी आगे दिख रही है ,,दरअसल इस सर्वे में भोपाल रीजन में कुल 36 सीटें बताई गयी है जिसमे भारतीय जनता पार्टी को 22 से 24 सीटें मिल रही है और कांग्रेस को 12 से 14 वहीँ अन्य को यहां एक भी सीट नहीं मिल रही है

टाइम्स नाऊ नवभारत का सर्वे
मध्य भारत में कुल 36 सीटें
बीजेपी को 22 से 24 सीटें मिल रही हैं
कांग्रेस के खाते में 12 से 14 सीटें
अन्य को यहां एक भी सीट नहीं मिल रहीं

ज़ी न्यूज़ के ओपिनियन पोल की माने तो ,, इस पोल में भोपाल रीजन में 26 सीटें भाटी गयी है जिसमे भी बीजेपी को बढ़त मिलते दिख रही है और कांग्रेस इस बार भी पीछे है ,,बीजेपी को 18 से 20 सीटें ,कांग्रेस को 06 -08 सीटें और अन्य को एक भी सीट नहीं मिल रही है

ज़ी MP-CG-सी फॉर सर्वे का पोल
मध्य भारत में 26 सीटें बताई गयी हैं
बीजेपी को 18 से 20 सीटें
कांग्रेस को 06 -08 सीटें
एक भी सीट नहीं मिल रहीं हैं

तीन फैक्टर हैं जो मध्य भारत की चुनाव की दिशा तय कर रहे हैं पहला मुद्दा तो युवाओं में रोजगार का है दूसरा है ओल्ड पेंशन स्कीम पर भरोसा जिसका असर कर्मचारियों में साफ दिख रहा है वहीँ तीसरा मुद्दा जिसका जरिये पार्टियां चाहे तो चुनावी किला भेद सकती है वो है मुफ्त की घोषणाओं का असर जिस पर जनता की अलग राय है बस जरूरी का जनता की राय को समझना और उसी के साथ सही तालमेल बिठाना।

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