सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की याचिका की रद्द, मोदी सरकार के पक्ष में सुनाया फैसला

संसद भवन को लेकर विवादों के बिच उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग वाली याचिका हुई रद्द, जाने क्या है इसका कारण, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से ही इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई। ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि इस याचिका से किसका हित होगा? इस पर याचिकाकर्ता सटीक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद इस याचिका को रद्द कर दिया गया है।

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याचिका के जरिए ये थी मांग

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विवादों के बिच की गई याचिका में नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है। इस याचिका के जरिए नए संसद भवन के उद्घाटन को राष्ट्रपति के हाथो करने की मांग कोर्ट के आगे रखी गई थी।

याचिका किसने दर्ज की थी

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सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की थी। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है। उन्होंने लिखा की नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए।

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इसका विरोध किसने किया

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इस विवाद का कई लोगो ने विरोध किया था। नए संसद भवन पर केंद्र सरकार के साथ अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन मिलाकर 25 दल हैं। वहीं, उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार की विपक्ष की मुहिम से कई दलों ने किनारा कर लिया है। बसपा, जद-एस और तेलुगू देशम ने बृहस्पतिवार को समारोह में शामिल होने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, यह जनहित का मुद्दा है, इसका बहिष्कार करना गलत है। NDA में बीजेपी समेत 18 दलों के अलावा विपक्षी खेमे के सात दलों ने उद्घाटन समारोह में शिरकत करने की रजामंदी दी है। इस मुद्दे पर कई विवाद हुए है। इसका कई लोगो ने विरोध भी किया है।

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