गेहूं की 4 किस्मों के बारे में बताएंगे जो प्रति हेक्टेयर 75 क्विंटल तक का उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं। हाल ही में तैयार की गई ये गेहूं की किस्में रोगों और कीड़ों से भी सुरक्षित हैं और जल्दी पककर तैयार हो जाती हैं। इनकी मदद से भारत के उन सभी राज्यों में गेहूं की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सकती है जहाँ यह फसल उगाई जाती है। आइए जानते हैं इन गेहूं की किस्मों के बारे में विस्तार से।
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GW 322 गेहूं किस्म
भारत के मध्य प्रदेश राज्य की यह प्रमुख गेहूं किस्म लगभग 4 महीने में पककर तैयार हो जाती है। GW 322 गेहूं को भारत के अन्य राज्यों में भी उगाया जा सकता है। इस किस्म को अच्छी पैदावार के लिए 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
पूसा तेजस गेहूं किस्म
2019 से इस किस्म ने खेतों में अपनी जगह बना ली है। जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रयोग में इस किस्म ने प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल का उत्पादन दिया। पूसा तेजस गेहूं किस्म 110 से 115 दिनों में पक जाती है और इसे कम सिंचाई की जरूरत होती है, जिससे यह किसानों के लिए किफायती साबित होती है।
श्रीराम 11 गेहूं किस्म
वर्ल्ड-फेमस गेहूं वैज्ञानिकों की खोज, श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स द्वारा विकसित की गई इस किस्म को देर से बोने के लिए उपयुक्त माना गया है। श्रीराम 11 गेहूं लगभग 3 महीने में पक जाता है और इसके दाने चमकदार होते हैं। मध्य प्रदेश के किसानों के अनुसार, श्रीराम सुपर 111 प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक की पैदावार देता है।
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HD 4728 गेहूं किस्म
HD 4728 नामक यह गेहूं की किस्म 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 55 क्विंटल गेहूं का उत्पादन किया जा सकता है। यह किस्म भारत के सभी राज्यों में भूमि की उर्वरता के अनुसार उगाई जा सकती है और इसे 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है इन गेहूं की नई किस्मों का उपयोग कर किसान न केवल पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि कम सिंचाई में भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।