Amarnath Yatra 2024: धाम भगवान शिव और शक्ति का प्रतीक है। हर साल कठिनाइयों, बाधाओं और खतरों के बावजूद श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है। पूरी पृथ्वी पर केवल यहीं पर भगवान शंकर हिमलिंग के रूप में प्रकट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि महर्षि भृगु अमरनाथ गुफा में जाने वाले पहले व्यक्ति थे। बाबा बर्फानी से जुड़ी कई और आश्चर्यजनक कहानियां भी हैं।
अमरता की कहानी और एक जोड़ी कबूतर
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता की कहानी सुनाने के लिए इस गुफा में लाए थे। कहानी के दौरान माता पार्वती सो गईं। लेकिन वहां मौजूद कबूतरों का जोड़ा कहानी सुनता रहा। इस दौरान वे लगातार आवाजें भी निकालते रहे, जिससे भगवान शिव को लगा कि पार्वती जी कहानी सुन रही हैं।
कहानी सुनने के कारण इन कबूतरों को भी अमरता प्राप्त हो गई। और आज भी अमरनाथ गुफा के दर्शन के दौरान कबूतर देखने को मिलते हैं। यह बड़ी ही आश्चर्य की बात है कि ये कबूतर ऐसी जगह पर कैसे जीवित रहते हैं, जहां ऑक्सीजन की मात्रा लगभग न के बराबर होती है और जहां मीलों तक भोजन और पानी का कोई साधन नहीं होता। यहां कबूतरों को देखना भगवान शिव-पार्वती के दर्शन करने जैसा माना जाता है।
अमरनाथ गुफा का पौराणिक इतिहास
अमरनाथ गुफा के पौराणिक इतिहास में महर्षि कश्यप और महर्षि भृगु का भी उल्लेख मिलता है। कहानी के अनुसार, एक समय स्वर्ग के समान कश्मीर जलमग्न होकर एक बड़े झील में बदल गया। तब महर्षि कश्यप ने उस पानी को छोटी-छोटी नदियों के माध्यम से निकाला। उस समय महर्षि भृगु हिमालय की यात्रा पर निकले हुए थे। जल स्तर कम होने के कारण महर्षि भृगु सबसे पहले हिमालय की पर्वतमालाओं में अमरनाथ की पवित्र गुफा और बाबा बर्फानी के शिवलिंग को देखने वाले बने।