Harda News/संवाददाता मदन गौर :- जिले में किसानों के बैंक खाते किस नियम के तहत होल्ड किए जा रहे हैं और कौन से नियम के तहत किसानों के खातों से बैंक किसानों का पैसा अन्य विभागों को किसान की सहमति लिए बगैर अन्य कंपनी को पैसे दे रही है, जिले का किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। एक तो किसानों को मूंग का भुगतान 2 माह में दिया गया, किसानों को बैंकों का डिफाल्टर ब्याज भी देना पढ़ रहा है, ऊपर से किसानों के बैंक खातों से बिजली कंपनी को किसानों की बगैर सहमति बैंक सीधा पैसा दे रहा है।
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ये किस नियम में आता है ? किसान कांग्रेस यह नहीं कह रही है, कि किसानों से बिजली कंपनी या अन्य वसूली नहीं की जाए, किसान पैसा जमा करने के लिए तैयार है। लेकिन किसान को बताया तो जाए कि उससे इतनी मोटी रकम कैसे वसूली जा रही है। बिजली कंपनी किसानों से पेनाल्टी लगाकर वसूली कर रही है, इसका जिम्मेदार किसान नहीं है। अगर समय पर मूंग का पैसा मिल जाता तो किसान पैसा समय पर जमा कर देता। ये वसूली का तरीका गलत है।
किसान कांग्रेस आपसे इस ज्ञापन के माध्यम से मांग करती है, कि जिन किसानों के खातों में होल्ड लगाया है, उसे तत्काल हटाया जाए और जो वसूली किसानों से बगैर सहमति की गई है वो राशि किसानों को वापस लौटाई जाए। बिजली कंपनी के पास वसूली के और भी तरीके हैं, अगर कोई किसान बिल जमा नहीं करता तो उसके ट्रांसफार्मर बन्द कर दिए जाए या उनके कनेक्शन काट दिए जाए। परन्तु किसानों से तानाशाही वसूली बन्द की जाए।
बिजली विभाग वाले किसानों की जमीन की खसरा खतौनी पर भी बिजली का बकाया रुपया 12 नंबर कालम में दर्ज करा रहे हैं, जिससे किसानों की सिबिल भी खराब हो रही है एवं जिन बैंको में किसान क्रेडिट कार्ड बने हुए हैं, वो बैंक उनके के.सी.सी. रिनेवल नहीं कर रहे हैं, बैंक मैनेजर किसानों से कह रहे, कि पहले ये जो नहर या बिजली विभाग की राशि खसरे पर चढ़ी हुई है, इसे हटवा कर खसरा लेकर आऐं, किसान बैंकों के चक्कर लगा रहा है बिजली विभाग भी मनमाने बिल किसानों को किसानों और गरीबों को दे रहा है।
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किसान कांग्रेस ने कहाँ की उपरोक्त विषय पर तत्काल संज्ञान लें एवं किसानों के हित को ध्यान में रखकर ऐसी वसूली रोकी जाए, किसान पैसा जमा करने के लिए तैयार है। उचित बिल किसानों को दें और उसके बाद किसान बिल जमा नहीं करता है तो विभाग उसकी बिजली सप्लाई बन्द कर दे, जब तक किसान पैसा जमा नहीं करे। परन्तु ऐसी वसूली नहीं की जाए, इसका तो यही मतलब है कि किसानों का पैसा बैंक में भी सुरक्षित नहीं है।
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