Harda News: राजनीति में चालू है दल बदल का सिलसिला, विचारधारा को नकारते हुए सत्ता की आड़ में स्वार्थ की पूर्ति By Shivam Thakur 12 Mar 2024 in मध्यप्रदेश New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर Harda News/संवाददाता मदन गौर हरदा: राजनीति तेरा गजब का खेल जिस पार्टी की विचारधारा तब तक रहते है गुणगान करते थकते नहीं जब उसी विचारधारा को नकार देते हैं तो बुराई और आरोप लगाकर छोड़ते हैं आम तौर पर दलबदल करने वाले नेताओं के पास एक जैसे घिसे-पिटे तर्क होते हैं। कोई कहता है जिस पार्टी में थे हमारी उपेक्षा हो रही थी तो कोई अपने क्षेत्र की अनदेखी का आरोप लगाता है। दलबदलू नेता यह कभी नहीं बताते कि वे जिन खामियों का उल्लेख करते हुए दल बदलते हैं, उनका आभास चुनावों की घोषणा होने के बाद ही क्यों होता है? वे यह भी नहीं बताते कि क्या उन्होंने कभी उन मसलों को पार्टी के अंदर उठाया, जिनकी आड़ लेकर दलबदल लिया अजब गजब खेल खेलते हैं ये दलबदलू नेता पाला बदलने के लिए भले ही विचारधारा की आड़ लेते हों, लेकिन असल में उनकी कोई विचारधारा ही नहीं होती Advertisment लोकतंत्र में ये समझ से परे है नेता अपने वैचारिक सिद्धांत पर खरे क्यों नहीं उतरते लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही जिस तरह नेताओं ने दल बदलना शुरू किया, उससे यही साफ हुआ कि भारतीय लोकतंत्र किस तरह अवसरवादी राजनीति से ग्रस्त है। वैसे तो दलबदल चुनाव वाले सभी राज्यों में हुआ, लेकिन मध्यप्रदेश प्रदेश का दलबदल कुछ ज्यादा ही देखने और सुनने में आ रहा है जिन नेताओं ने सारी उम्र पार्टी में होकर बिताई वो मां समान पार्टी किसी कारण जनाधार घटता देख दलबल रहै जहां सब मान सम्मान पद नाम मिला मलाई और कुर्सी की ललक चाहत में उसे ठोकर मारकर दूसरे दल की गोद में जा बैठे लानत है ये भी पढ़िए: Harda News: उपभोक्ता संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत, आयुष विभाग हरदा के द्वारा निशुल्क निदान चिकित्साशिविर का किया गया आयोजन Advertisment किसान संकट में युवा बेरोजगार महंगाई चरम पर ऐसे नेताओं की राजनीति को जो किसान संकट में युवा बेरोजगार महंगाई चरम पर ऐसे समय में सड़क पर संघर्ष करने का समय है पर कहा जनता जाए भाड़ में जहां बम वहां हम की कहावत चरितार्थ होती दिखाई दे रहे हैं थोड़ी शर्म बची हो तो बोली भाली जनता का जनसमर्थन लेकर जीत जाना अगर किसी कारण सरकार नहीं बनी तो जिस दल की सरकार है उसमें मिल जाना और जिस पार्टी में आप कई बरसों से रहे इस मां समान पार्टी को लक्षण लगाकर सत्ता दल में प्रवेश कर गए क्या यही नैतिकता है। विचारधारा की आड़ स्वार्थ की पूर्ति दलबदलू नेता पाला बदलने के लिए भले ही विचारधारा की आड़ लेते हों, लेकिन असल में उनकी कोई विचारधारा ही नहीं होती दलबदलू नेता यह कभी नहीं बताते कि वे जिन खामियों का उल्लेख करते हुए दल बदलते हैं उनका आभास उन्हें चुनावों की घोषणा होने के बाद ही क्यों होता है? साथ ही वह जिस दल को छोड़ते हैं और जिससे जुड़ते हैं उन दोनों का सिरदर्द बढ़ाते हैं। #latest news #harda news #Loksabha Election 2024 update #election 2024 हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें Advertisment यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article