MP News : मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। सरकार ने वेस्टर्न आउटर रिंग रोड के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करेगा, बल्कि 26 गांवों के लोगों के लिए आर्थिक तरक्की का नया रास्ता भी खोलेगा। चलिए जानते हैं इस परियोजना से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
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हाईवे से गांवों की बदलती तस्वीर
इस रिंग रोड प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 160 किलोमीटर होगी। इसके लिए जिन गांवों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें करीब ₹750 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। यह मुआवजा सीधे किसानों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध बनी रहेगी। इससे प्रभावित गांवों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा और स्थानीय लोगों को नए रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
जमीन अधिग्रहण का दायरा
इंदौर जिले के दो प्रमुख तहसीलों—देपालपुर और सांवेर—में किसानों की जमीन ली जाएगी। देपालपुर तहसील के मोहन, किशनपुरा, बेटामा खुर्द, लालेंदीपुरा और रोलाय जैसे गांवों की 81.01 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। वहीं सांवेर तहसील के कटक्या, ब्राह्मण पिपल्या, मुंडला हुसैन, धतूरिया, बालोदा तकून, सोलसिंदा, जैतपुरा, पीर कराडिया और बरलाई जागीर गांवों की 160 हेक्टेयर भूमि इस प्रोजेक्ट में शामिल होगी।
रिंग रोड से जुड़े संभावित फायदे
वेस्टर्न आउटर रिंग रोड इंदौर शहर की परिधि से होकर गुजरेगा, जिससे भारी वाहन और ट्रैफिक का दबाव शहर के मुख्य इलाकों से हटेगा। इससे शहर के अंदर ट्रैफिक की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। साथ ही, इससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
मुआवजे की प्रक्रिया
मुआवजे की सूची पहले ही तैयार कर ली गई है। जैसे ही NHAI से सरकार को राशि प्राप्त होती है, यह सीधा किसानों के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दी जाएगी। इस पारदर्शी व्यवस्था से किसानों को समय पर लाभ मिलेगा और कोई अनावश्यक अड़चन नहीं आएगी।
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निवेश और भविष्य की संभावनाएं
रिंग रोड परियोजना के कारण आसपास के क्षेत्रों में भूमि की कीमतों में बढ़ोतरी होना तय है। इससे ग्रामीणों को दीर्घकालीन वित्तीय लाभ भी मिलेगा। इसके अलावा, रियल एस्टेट, परिवहन और स्थानीय व्यवसायों को भी नई ऊंचाइयां मिलेंगी।