Harda News : जैन समाज ने हर्षोल्लास से मनाया भगवान श्री महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक सत्य, अहिंसा तथा जिओ ओर जिने दो के महावीर भगवान के सिद्धांत जीवन की राह दिखाते हैं By Ankush Baraskar 23 Apr 2024 | एडिट 23 Apr 2024 10:30 IST in Mp News New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर Harda/संवाददाता मदन गौर हरदा : वर्तमान जिनशासन नायक भगवान श्री महावीर स्वामी के 2623 वें जन्मकल्याणक को जैन धर्मावलंबियों द्वारा हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रति वर्ष चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को भगवान महावीर स्वामी का जन्मकल्याणक काफी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी को सामाजिक क्रांति के शिखर पुरुष के रूप में भी जाना जाता है। उनके जीवन में अहिंसा, करुणा, दया आदि का खास स्थान था। महावीर जन्मकल्याणक को जैन समाज पूरे हर्षोल्लास से उत्सव की तरह मनाता है और विश्व शांति का कामना तथा प्राणीमात्र के सुख समृद्धि को लेकर शांतिधारा कलश करता है। इस वर्ष श्री दिगम्बर जैन समाज एवं महिला परिषद ने जन्म कल्याणक सप्ताह मनाया जिसके तहत नगर के चारों मंदिरों में बधाई भजन संध्या एवं भक्ताम्बर पाठ का आयोजन किया गया । Advertisment यह भी पढ़िए :- Harda News: अपनी माता की स्मृति में पुत्र रामदयाल गौर ने समाज को दी सहयोग राशि दान भगवान महावीर जन्म कल्याणक के बारे में जानकारी देते हुए दिगंबर जैन समाज हरदा के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन एवं कोषाध्यक्ष राजीव रविंद्र जैन ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे जो जैन धर्म के आखिरी आध्यात्मिक गुरु थे। भगवान महावीर का बाल्यावस्था में नाम वर्धमान था। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था । राजा के घर में जन्मे महावीर ने संसार की कुरितियों से विरत होकर तमाम भौतिक सुविधाओं को त्यागकर 30 वर्ष की आयु में घर छोड़कर 12 साल कठोर तप करके कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और वह तीर्थंकर कहलाएं। उन्होंने दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया, सभी जीवों को जिओ ओर जिने दो का संदेश देकर जीवन की राह बतलाई। महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर जैन समाज द्वारा प्रातः काल मंदिर जी में भगवान महावीर की 64 रिद्धि सिद्धि मंत्रों के साथ बृहद शांति धारा कर विधान विधान पूजन के पश्चात भगवान महावीर स्वामी की भव्य शोभायात्रा चांदी के विमान पर सवार कर नगर में निकाली गई, जिसमें पुरुष वर्ग सफेद वस्त्र धारण किए थे तो महिलाओं ने केसरिया वस्त्र पहने थे। नगर में निकले भगवान महावीर जी की आरती उतार कर जैन समाज के साथ ही अन्य समाज, संप्रदाय और सामाजिक संगठन में शोभा यात्रा का अभिनंदन किया। शोभायात्रा में महिलाओं ने गरबा नृत्य किया, युवाओं ने रास्ते भर जोरदार जयकारे लगाये। Advertisment इसके पश्चात मंदिर जी में भगवान महावीर स्वामी के अभिषेक किए गए जिसमें 4 कलशो से अभिषेक किया गया जिसका प्रथम सौभाग्य राज आनंद रपरिया परिवार, अक्ष बड़जात्या, तनिष्क बड़जात्या, चर्चित गंगवाल को प्राप्त हुआ । प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य विक्की गुंजन जैन बैंगलोर, द्वितीय शांतिधारा एवं श्रीजी को छत्र चढ़ाने का सौभाग्य प्रवेश सुरेशचंद्र जैन इंदौर पाटनी परिवार ने प्राप्त किया। मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का सौभाग्य पूनमचंद आकाश अर्पित लहरि परिवार, श्रीजी को चवर का सौभाग्य राजीव रविंद्र रपरिया परिवार को प्राप्त हुआ ।अभिषेक के पश्चात भगवान महावीर स्वामी की आरती उतारी गई जिसका सौभाग्य सांझ सन्नी अजमेरा को प्राप्त हुआ ।भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर महिला परिषद के द्वारा भगवान महावीर के पालना झुलाने का आयोजन किया गया जिसमें पालना झूलाने का सौभाग्य गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ। संध्याकाल में दयोदय गौशाला में समाजजनों गौ सेवा करते हुए गौग्रास गायों को वितरण किया । पश्चात मंदिर जी में भव्य आरती कि गई। इस अवसर पर समाज के सदस्यों ने दयोदय गौशाला के लिए भूसा खरीद हेतु दान कि घोषणा की । महावीर जयंती का महत्व 12 साल की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर जन्मकल्याणक तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है। Advertisment क्या है पंचशील सिद्धांत जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया। भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है। उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है। यह भी पढ़िए :- Shivpuri: खनियांधाना में धूमधाम से मनाया गया भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव भगवान महावीर के प्रेरणादायक विचार ● ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है। बस सही दिशा में अपना पूरा प्रयास करके देवताओं को पा सकते हैं। ● हर आत्मा अपने आप में आनंदमय और सर्वज्ञ है। आनंद हमारे अंदर ही है इसे बाहर ढूंढने की कोशिश न करे। ● हर एक जीवित प्राणी के ऊपर दया करो। घृणा से केवल विनाश होता है। ● खुद पर विजय प्राप्त करो। क्योंकि यह एक चीज लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। ● सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध हो, बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है। #harda news #harda news today #new harda news #harda news update हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें Advertisment यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article