रीवा/संवाददाता मनोज सिंह: सिरमौर में भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बिरसा मुंडा विचार मंच के नेतृत्व में भूख हड़ताल पर बैठा पीड़ित धनपत कोल का अनशन.जिले के सिरमौर मे प्रशासन नाम कि कोई चीज नहीं रह गई, सरकारी विभाग हो य अस्पताल सब दलाल व माफियाओ के गिरफ्त में है, जो लूट खसोट का अब अड्डा बन गया है, इन्हीं मुद्दों को व गंभीर समस्याओ को लेकर बिरसा मुंडा विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु कांत कुशवाहा जो पीड़ित एवं सैकड़ों लोगों के साथ भ्रष्ट प्रशासन के खिलाफ रैली निकालकर एसडीएम कार्यालय का घेराव किए और न्याय कि मांग को लेकर भूंख हड़ताल व धरने पर बैठ गए है.
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क्या है पूरा मामला…
सिरमौर नगर में भू- माफियाओ द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर एक आदिवासी पीड़ित आदिवासी धनपत कोल जो सिरमौर नगर का निवासी है, उसकि जमीन खसरा क्रमाक- 1437 रकवा 0.053 हे. जो सिरमौर पटवारी हल्का सिरमौर तहसील सिरमौर चचाई रोड के किनारे स्थित है, भूमाफियाओ ने फर्जी दस्तावेज बनवाकर अपने नाम करा लिया है, जब पीड़ित को अपनी जमीन का फर्जी नामांतरण करा लेने कि जानकारी प्राप्त हुई तो वह मामले की शिकायत सिरमौर एसडीएम, पुलिस अनुविभागीय अधिकारी सिरमौर, थाना प्रभारी सिरमौर एवं कलेक्टर, कमिश्नर रीवा के यहाँ आवेदन पत्र देकर मामले कि जाँच व कार्यवाई करने कि मांग कि थी, लेकिन न राजस्व विभाग द्वारा न ही पुलिस द्वारा आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं कि गई, जिस मामले पर बिरसा मुंडा विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुकांत कुशवाहा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आदिवासी कि जमीन बचाने उसे न्याय दिलाने पीड़ित के साथ आज से अनिश्चित काल के लिए भूख हड़ताल एवं धरने पर बैठ गए है, उनका साफ तौर पर कहना है कि जब तक पीड़ित के प्रकरण कि सही जाँच व कार्यवाई नहीं होती धरना व हड़ताल जारी रहेगी.
आपको बता दें कि.. पीड़ित धनपत कोल जो गरीब मजदूर है, उसकी निजी जमीन को सिरमौर के कुछ भू-माफियाओ ने 2020 में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी नामांतरण करा लिया है, जिस मामले कि कार्यवाई हेतू पीड़ित आदिवासी राजस्व विभाग मे कई बार आवेदन देकर कार्यवाई कि मांग कि थी, लेकिन कई वर्ष बीत गए, आज तक राजस्व विभाग द्वारा पीड़ित कि समस्या का कोई निराकरण नहीं किया गया, जिस कारण अब तो हालात यह हो गए है कि भू माफिया पीड़ित गरीब को जमीन छोड़ देने के लिए धमकाते रहते है, उसकी जान के पीछे पड़ गए है, जिससे पीड़ित डर और भय के साये में अपने परिवार के साथ जीवन यापन करने को मज़बूर हो गया है, और अब अपनी निम्न मांगो को लेकर सिरमौर एसडीएम कार्यालय के सामने भूंख हड़ताल पर बैठ गया है.
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पीड़ित की मुख्य मांगे इस प्रकार से है…
- पीड़ित धनपत कोल जिसकी आराजी क्र. 1437 रकवा 0.053 हे० है, के सम्बंध में सचरा प्रमाण पत्र की जांच कराई जाकर दण्डात्मक कार्यवाही की जाय,
- फर्जी सचरा बनवाने मे संलिप्त सभी व्यक्तियों के ऊपर कानूनी दण्डात्मक कार्यवाही की जाय,
- उक्त कूट रचित रजिस्ट्री बनवाने मे संलिप्त पूर्व पटवारी हल्का सिरमौर जयराम गौतम के द्वारा फर्जी प्रतिवेदन दिये जाने मामले पर सम्बंधित के विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाय,
- आालोक पाण्डेय पिता कृष्ण कुमार पाण्डेय निवासी सिरमौर के ऊपर म०प्र० भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा-165 एवं मुद्रांक विधान की धारा-27 एवं 64 का उल्लघंन किये जाने पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाय,
- फर्जी सचरा के आधार पर पट्टा एवं आलोक पाण्डेय के नामान्तरण को निरस्त किया जाकर मंधीर कोटवार, गजेन्द्र कुशवाहा, रामभजन कोटवार, उग्रसेन कोटवार, पूर्णिमा मिश्रा, विनय मिश्रा, चन्द्रप्रकाश उर्फ टिंकू पाण्डेय एवं आलोक पाण्डेय के ऊपर आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर कार्यवाई की जाय,
गरीब आदिवासी को न्याय दिलाने बिरसा मुंडा विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुकांत कुशवाहा भी पीड़ित के साथ भूंख हड़ताल पर बैठ गए है,
बड़ा मामला यह भी सामने आया है कि सिरमौर के राजस्व कार्यालयों में चिड़िया बैठाने तक के अच्छे खासे रकम कि मांग पीड़ितो से कि जाती है, अब गरीब एक तो अपनी गरीबी मे मर रहा ऊपर से सरकारी विभागो में भ्र्ष्टाचार जो दीमक कि तरह सिस्टम को खाए जा रहा है,
देखने में आया है कि कई ऐसे पीड़ित लोग है जो एसडीएम के सामने रोते बिलखते हुए मिले जिसे सुनकर देखकर अधिकारियों के भी दिल नहीं पसीजे,
सिरमौर में बड़ी बिडंबना देखने को मिली है, सरकार कहती है हम और हमारे सरकारी अधिकारी जनता कि सेवा करने के लिए है, यहां तो पीड़ित रो रहे है, और अधिकारी कहते है हम क्या करे, हालात यह है कि सिरमौर में गरीबो कि सुनने वाला कोई नहीं है, अब वो जाए तो जाए किसके पास…? अब आगे देखना यह दिलचस्प होगा की रीवा जिला प्रशासन व सिरमौर राजस्व विभाग द्वारा गरीब आदिवासी पीड़ित व्यक्ति की जमीन मामले मे क्या कुछ कार्यवाई कि जाती भी है य नहीं.