सरकार ने ई-केवाईसी की प्रक्रिया शुरू की है ताकि प्रधानमंत्री अन्न योजना के तहत केवल वही लोग मुफ्त राशन पाएं जो वास्तव में हकदार हैं। अब तक मध्यप्रदेश में 15 लाख ऐसे लोगों की पहचान हुई है जो या तो मर चुके हैं या 4 महीने से राशन लेने नहीं आए।
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अब तक 15 लाख नाम हटाए गए
जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच 15 लाख नाम राशन कार्ड की सूची से हटाए जा चुके हैं। इनमें से कई लोग या तो दो जगह पंजीकृत थे या कहीं और चले गए। अभी भी 83 लाख लाभार्थियों की ई-केवाईसी बाकी है, जिनमें से 3-4 लाख और नाम हट सकते हैं।
समग्र पोर्टल से होती है जानकारी की अदला-बदली
जब परिवार का कोई सदस्य गुजर जाता है या लड़की की शादी हो जाती है, तो उसकी जानकारी स्थानीय निकाय समग्र पोर्टल पर डालते हैं। वहीं से खाद्य विभाग हर महीने डेटा लेकर राशन कार्ड से नाम हटाता है।
कुछ जिलों में ई-केवाईसी की रफ्तार धीमी
अब तक प्रदेश में 84% ई-केवाईसी हो चुकी है। सबसे अच्छा प्रदर्शन इंदौर (92%) का रहा, जबकि सबसे कम भिंड (75%) में हुआ। भोपाल में 85%, बालाघाट में 90%, और जबलपुर में 81% ई-केवाईसी पूरी हुई है।
हर महीने 2.90 लाख टन राशन की जरूरत
मध्यप्रदेश में हर महीने 2.90 लाख टन राशन की जरूरत होती है, जिसमें 1.74 लाख टन चावल और 1.16 लाख टन गेहूं शामिल है। राज्य सरकार चाहती है कि चावल का कोटा घटाकर गेहूं का हिस्सा बढ़ाया जाए।
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सरकार की साफ योजना अपात्र हटाओ पात्र जोड़ो
सरकार की मंशा साफ है – फर्जीवाड़ा रोकना और असली जरूरतमंदों तक अनाज पहुंचाना। जैसे-जैसे ई-केवाईसी आगे बढ़ेगी, अपात्र लोगों को हटाकर नए पात्रों को जोड़ा जाएगा।