Ujjain News: उज्जैन कलेक्टर ने माता को चढ़ाई शराब, सुख-समृद्धि की कामना के साथ की नगर पूजा। धार्मिक नगरी उज्जैन में हर त्योहार को अनोखे और भव्य अंदाज में मनाया जाता है। यहां की परंपराएं, इतिहास और आस्थाएं अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। इस परंपरा को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने भी आज आगे बढ़ाया। शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर शहर की सुख-समृद्धि, सुरक्षा और कल्याण के लिए उन्होंने चौबीस खंबा माता मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की और माता को शराब का अर्पण किया।
हर साल की तरह इस बार भी कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने महाअष्टमी के दिन नगर पूजा का आयोजन किया। शुक्रवार सुबह उन्होंने शहर और जिले की खुशहाली की कामना के साथ माता महालया और महामाया की विशेष पूजा की। पूजा के बाद कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने नगर पूजा यात्रा का नेतृत्व करते हुए खुद कुछ समय तक हांडी उठाकर यात्रा के आगे-आगे चले। उनके साथ अधिकारी, कर्मचारी और कोटवारों की टीम 27 किमी लंबी नगर पूजा यात्रा पर निकली। ढोल-नगाड़ों, ध्वजों और शराब की धारा के साथ यह यात्रा शहर के 40 से अधिक माता और भैरव मंदिरों तक पहुंचेगी, जहां विशेष पूजा की जाएगी।
27 किमी लंबी यात्रा में बहेगी शराब की धारा
पूरे शहर की परिक्रमा के दौरान यात्रा के सबसे आगे चल रही हांडी से शराब की धारा बहती रहेगी। यह यात्रा काल भैरव, भूखी माता, चामुंडा माता, गढ़कालिका समेत शहर के 40 प्रमुख मंदिरों तक पहुंचेगी, जहां विशेष पूजा की जाएगी। साथ ही, यात्रा में शामिल कोटवार और अन्य सदस्य भगवान को भजिया, पुरी, बादबाकुल का भोग अर्पित करेंगे और मां को सोलह श्रृंगार सामग्री और चुनरी चढ़ाएंगे।
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विक्रमादित्य ने शुरू की थी यह परंपरा
पूजा और यात्रा का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहेगा और रात्रि 8 बजे यह यात्रा अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर समाप्त होगी। मान्यता है कि चक्रवर्ती सम्राट राजा विक्रमादित्य ने अपने राज्य और नगर की खुशहाली के लिए महाअष्टमी के दिन नगर पूजा की शुरुआत की थी, जो आज भी जारी है। इस अवसर पर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि यह सांस्कृतिक परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और उन्हें कलेक्टर के रूप में इसे आगे बढ़ाने का सौभाग्य मिला है। मेरी कामना है कि शहर और जिले में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहे।
कलेक्टर से लेकर कोटवार तक सभी शामिल
कलेक्टर ने कहा कि बाबा महाकाल और माता हरसिद्धि का आशीर्वाद सभी पर बना रहे। आपको बता दें कि लोगों की भलाई के लिए भारत के चक्रवर्ती सम्राट राजा विक्रमादित्य ने नगर पूजा की शुरुआत की थी। इस परंपरा में नगर पूजा के दौरान माता को शराब चढ़ाई जाती है। यह यात्रा विशेष है क्योंकि इसमें गांव के कोटवार से लेकर कलेक्टर तक सभी भाग लेते हैं।