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किसानो के लिए गर्मी में दुगुने फायदे का जरिया है इस फसल की खेती कम मेहनत और छोटे खर्चे में कमाए डबल मुनाफा

किसानो को गर्मी के दिनों में तीसरी फसल का मुनाफा कमाने के लिए मक्के की खेती करना फायदेमन्द साबित हो सकता है.  

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आज के समय में मक्के की डिमांड बढ़ती जा रही है, और किसान की दो फसलों के अलावा अतिरिक्त कमाई के लिए यह अच्छा ऑप्शन हो सकता है. शहरो में रेस्टोरेंट,और होटलो में मक्के से तरह तरह के पकवान बनाए जाते है ऐसे में दिन प्रतिदिन बाजार में मक्का की मांग बढ़ते जा रही हैं, किसानो को गर्मी के दिनों में तीसरी फसल का मुनाफा कमाने के लिए मक्के की खेती करना फायदेमन्द साबित हो सकता है.  

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मक्का की खेती करने के लिए ज्यादा मशक्कत की आवश्यकता नहीं है बेबीकॉर्न की फसल को पूरी तरह से तैयार होने में मात्र 45 से 50 दिन का समय लगता है। इससे किसानों के लिए यह बड़े फायदेमंद सौदा हो सकता है। एक साल में किसान इसकी 3-4 फसलें आराम से उगा सकते हैं। बेबीकॉर्न के अंदर कई पौष्टिक गुण होते हैं, जैसे कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन इसे कच्चा या पका हाल में भी खाया जा सकता है।

मक्के के फसल कटाई के बाद भी बचे हुए सूखे पेड़ भी पशुओ के चारे के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है. मक्के  के पेड़ जानवर भी खा सकते है, मक्का से किसानों को डबल फायदा मिलता है, क्योंकि इसकी फसल निकलने के बाद बाकी बचे पौधों से पशुओं के लिए चारा तैयार किया जा सकता है। किसान इसका उपयोग हरे चारे के रूप में भी कर सकते हैं और इसे काटकर सूखने के बाद थ्रेशर से सूखा भूसा भी बनाया जा सकता है। चूंकि यह मक्के का ही एक रूप है और मक्के का चारा पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक माना जाता है, इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है. 

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मक्के कि फसल को एक एकड़ जमीन में मक्के की खेती करने पर कुल लागत करीब 80,000 रुपये आती है। वहीं फसल बेचने के बाद इससे डबल इनकम आसानी से हो जाती है। यानी कोई किसान एक एकड़ जमीन पर साल में चार बार भी बेबीकॉर्न की खेती करता है तो वह कम से कम ३ लाख रुपये आसानी से कमा सकता है। हालांकि, अभी इसकी बिक्री के लिए कोई व्यवस्थित सप्लाई चैन नहीं बनी है, जिससे किसानों को इसे बेचने में थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। लेकिन समय के साथ इसकी डिमांड और तेज होने वाली है, जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को तगड़ा फायदा हो सकता है।

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