मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पर कर्ज का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। 31 मार्च 2025 तक राज्य पर कुल कर्ज ₹4.21 लाख करोड़ से भी ज़्यादा हो चुका है। अब साल 2025-26 के लिए सरकार एक बार फिर से भारतीय रिज़र्व बैंक से नया कर्ज लेने जा रही है। 6 मई को सरकार 12 साल के लिए ₹2500 करोड़ का नया कर्ज लेगी। इस रकम का इस्तेमाल विकास परियोजनाओं में तेज़ी लाने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में किया जाएगा।
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जीडीपी का 3% तक कर्ज लेने की छूट
वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, राज्य सरकार को जीडीपी के 3% तक कर्ज लेने की छूट है। इसके अलावा, ऊर्जा और शहरी विकास के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 0.5% अतिरिक्त कर्ज भी लिया जा सकता है। फिलहाल तक जितने भी कर्ज लिए गए हैं, वो सभी ‘फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट’ के तहत ही हैं। नए वित्तीय साल की शुरुआत में कर्ज पर ब्याज दर कम होती है, इसलिए ज़्यादातर राज्य इसी समय कर्ज लेना पसंद करते हैं।
ब्याज में जाएगा 29 हज़ार करोड़
साल 2025-26 में राज्य सरकार केवल ब्याज चुकाने में ही करीब ₹29,000 करोड़ खर्च करेगी। यह रकम किसी भी एक योजना से कहीं ज़्यादा है।
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कांग्रेस का आरोप – MP को कर्ज के दलदल में धकेल रही बीजेपी
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार मध्य प्रदेश को कर्ज के जाल में फंसा रही है। उनका कहना है कि अब तक लिया गया पैसा जनता के हित में इस्तेमाल होता दिखाई नहीं दे रहा। कांग्रेस ने सरकार से वित्तीय स्थिति साफ़ करने के लिए श्वेत पत्र जारी करने की माँग भी की है।