Pitra Paksha 2024 : पितृ दोष से मुक्ति पाना है तो अपना ले ये सरल उपाय, जीवन हो जायेगा खुशहाल : तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान तो हम सबने सुने होंगे, लेकिन पितृ प्राणायाम एक अनोखी विधि है जिसके माध्यम से हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के साथ-साथ अपने जीवन में कई सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल आध्यात्मिक होती है, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को भी शांति प्रदान करती है।
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पितृ प्रणायाम के बारे में
पितृ प्राणायाम योग के समान ही है, लेकिन इसमें ध्यानपूर्वक अपने पूर्वजों का स्मरण किया जाता है। इस प्राणायाम की विधि सरल होती है, जिसमें श्वास भरते और छोड़ते समय अपने पूर्वजों के नाम और उनका चेहरा ध्यान में लाया जाता है। माना जाता है कि इससे कुंडली में पितृ दोष के कारण उत्पन्न कष्ट और बाधाएं दूर हो सकती हैं।
पितृ दोष का असर
पितृ दोष वह स्थिति है, जब हमारे पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट होती है और इसका असर हमारे जीवन पर पड़ता है। यदि ज्योतिषीय दृष्टि से नवम भाव में सूर्य के साथ राहु, केतु, या शनि की युति होती है, तो इसे पितृ दोष माना जाता है। यह दोष हमारे जीवन में बाधाएं, कार्यों में रुकावट और अशांति उत्पन्न करता है।
जान ले पितृ प्राणायाम की विधि
- सुखासन में बैठें: ध्यानमग्न होकर शांत मुद्रा में बैठें।
- दायीं नासिका बंद करें: सीधे हाथ के अंगूठे से दायीं नासिका को बंद करें।
- आज्ञा चक्र पर ध्यान: तर्जनी अंगुली को भौहों के बीच स्थित आज्ञा चक्र पर रखें।
- श्वास भरें: बायीं नासिका से श्वास भरते हुए अपनी मां का स्मरण करें।
- श्वास छोड़ें: बायीं नासिका को अनामिका अंगुली से बंद कर दायीं नासिका से श्वास छोड़ें और पिताजी का स्मरण करें।
- विश्राम करें: कुछ पल आराम करें, फिर पुनः दायीं नासिका से श्वास भरते हुए दादा का स्मरण करें।
- दूसरा चक्र: इसी प्रकार दूसरे चक्र में नाना-नानी और तीसरे चक्र में सास-ससुर का स्मरण करें।
प्रत्येक चक्र में चार बार श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया होती है, जिससे कुल 12 बार श्वास-प्रश्वास की क्रिया में 12 पूर्वजों का स्मरण होता है।
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पितरो का स्मरण करे
पितृ प्राणायाम के बाद तीन सफेद पुष्प और काले तिल लेकर सुखासन में बैठें। बायीं नासिका पर ध्यान केंद्रित करें और अपने बहन, मामा, मासी इत्यादि को स्मरण करें। इसके बाद सीधे कंधे पर ध्यान देकर पितृ परिवार का स्मरण करें। अंत में नाभि पर ध्यान केंद्रित कर ससुराल पक्ष के दिवंगतों का स्मरण करें।यदि आपके जीवन में किसी प्रकार की रुकावटें हैं, तो पितृ प्राणायाम के साथ-साथ श्राद्ध, तर्पण और अन्य पितृ कर्म भी करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होगी और आपके जीवन में समृद्धि आएगी।